(प्रेम रावत) लोग तो बहुत सारे प्रश्न पूछते हैं कि ऐसा क्यों है? वैसा क्यों है? यह क्यों होता है? वह क्यों होता है? ऐसा काहे के लिए होता है? पर सबसे बढ़िया प्रश्न तो यही है कि यह जो मेरे को समय मिला है, इसका मैं सबसे अच्छा प्रयोग कैसे कर सकूं? इसका सदुपयोग मैं कैसे कर सकूं?
तो उसके लिए संत महात्माओं ने एक बात बहुत स्पष्ट कही है और यह बात लोग सुनते हैं और काफी मात्रा में सुनते हैं यह बात। पर मेरे ख्याल से लोगों की या तो समझ में नहीं आती है या उसको स्वीकार नहीं करना चाहते हैं कि जो भी तुम्हारे प्रश्न हैं, तुम्हारा मन जो है, तुम्हारा दिमाग जो है, प्रश्नों को पूछता है, वह प्रश्नों के बारे में सोचता है, वही प्रश्न आते हैं। परंतु तुम्हारे हृदय में सारे उत्तर उत्तर है। मन में, दिमाग में प्रश्न प्रश्न है, हृदय में। उत्तर। उत्तर।
तो जब तक तुम अंदर नहीं जाओगे और उस चीज को महसूस नहीं करोगे जो तुम्हारे अंदर है। ये तुम्हारे प्रश्न खत्म नहीं होंगे। यह चलते रहेंगे, चलते रहेंगे, चलते रहेंगे, चलते रहेंगे। जैसे एक कमरे के अंदर अगर अंधेरा ही अंधेरा है तो उस कमरे में क्या है, आप उसको नहीं जान पाएंगे। उसको नहीं समझ पाएंगे कि क्या है उस कमरे के अंदर। परंतु जैसे ही उस कमरे में उजाला होगा तो प्रकाश जब होगा उजाला जब होगा तो उजाला किसी चीज को बनाएगा नहीं।
उजाला मेज को या कुर्सी को या गिलास रखा हुआ है वहां या पलंग रखा हुआ है वहां। उन चीजों को बनाएगा नहीं। परंतु अगर वह चीजें वहां हैं तो आप उनको देख सकेंगे बस। बस। देखने के बाद आप अपने आप इसका निर्णय ले सकते हैं कि आप उस कमरे में किस चीज का इस्तेमाल करना चाहते हैं, कुर्सी पर बैठना चाहते हैं या नहीं बैठना चाहते हैं या पलंग पर लेटना चाहते हैं या नहीं लेना चाहते हैं। परंतु पलंग है, कुर्सी है, मेज है, पानी है। आपको भूख लगी है, फल हैं। ये सारी चीजें वहां मौजूद हैं और अगर आप उन चीजों का सेवन करना चाहते हैं तो आप कर सकते हैं। और यह क्यों हो रहा है? यह इसलिए हो रहा है क्योंकि अब उस कमरे में प्रकाश है।
उजाले से पहले जब प्रकाश नहीं था, बत्ती जलने से पहले जब प्रकाश नहीं था, तब क्या हालत थी? अगर आपको भूख लगी थी या प्यास लगी थी या आप थके हुए थे, आपको बैठने की जरूरत थी। आपको नहीं मालूम है कि कहां बैठें? आपको नहीं मालूम था कि पानी वहां है या नहीं है। आपको नहीं मालूम था कि वहां भोजन है या नहीं है और इसके कारण मनुष्य परेशान होता है, क्योंकि उसको मालूम नहीं है।
परंतु जब उसको मालूम होने लगता है, जब वह जानने लगता है, जब वह पहचानने लगता है तो अपने आप। फिर वह निर्णय ले सकता है कि उसको किस चीज की जरूरत है। अब उसको पूछने की जरूरत नहीं है। अगर उसको प्यास लगती है तो उसको पूछने की जरूरत नहीं है। पानी है या नहीं, अब वह देख सकता है कि पानी है।
ठीक इसी प्रकार अपने जीवन के अंदर जब अंदर अंधेरा है तो मनुष्य के हजारों प्रश्न है क्या है ,यह क्या है, वह क्या है? कब मिलेगा? कैसे मिलेगा? क्या मैं नरक में जाऊंगा? क्या मैं स्वर्ग में जाऊंगा? मेरे साथ क्या होगा? अब सब सब सारी चीजें सुनी हुई है।
जब आप पैदा हुए थे, आपको नरक के बारे में कुछ नहीं मालूम था। स्वर्ग के बारे में कुछ नहीं मालूम था। यह सब चीजें आपने सुनी कि नरक होता है, स्वर्ग होता है, यह होता है, वह होता है। और आपने सोचना शुरू किया कि कहां जाऊंगा मैं? मैंने कैसे कर्म किए हैं? मैंने कहीं गलती तो नहीं कर दी। सारी चीजें होने लगती हैं। ये सारे डाउट्स जो हैं, यह होने लगते हैं। परंतु जब वह बत्ती, वह ज्ञान रूपी लाइट बल्ब जलने लगता है...
इसीलिए कहा है कि ज्ञान बिना नर सोवईं ऐसे, लवण बिना जब भव व्यंजन जैसे। क्योंकि भव व्यंजन लगते तो सब सुंदर हैं। सब ठीक है। सब अच्छे हैं। परंतु खाने पर उनमें कुछ नहीं है। खाने में स्वाद नहीं है। ठीक इसी प्रकार जिस मनुष्य के जीवन के अंदर वह ज्ञान रूपी बत्ती नहीं जल रही है, उसका जीवन कुछ इसी प्रकार है कि सब कुछ है उसके पास, परंतु वह नहीं जानता है कि वह कहां है, वह यह नहीं जानता आगे क्या हो रहा है।
वह यह नहीं जानता कि आज के दिन में क्या हो रहा है। कल की प्लानिंग के बारे में उसको सब कुछ मालूम है। कल की प्लानिंग करने में बड़ा बड़ा माहिर है। परंतु आज वह कुछ नहीं जानता। सचमुच में यह जो मन है, यह फोटो छापता रहता है, फोटो छापता रहता है।
ऐसा होना चाहिए, ऐसा होना चाहिए, मेरी बीवी ऐसी होनी चाहिए, मेरा परिवार ऐसा होना चाहिए, मेरे बच्चे ऐसे होने चाहिए, मेरे दोस्त ऐसे होने चाहिए। और सब चीजों के पीछे लगा रहता, लगा रहता, लगा रहता, लगा रहता है। और अगर सचमुच में इस बारे में सोचा जाए तो झगड़े की जड़ यही सारे चित्र हैं हमारी जिंदगी के अंदर जो हमने बना रखे हैं।
तो ध्यान दीजिए और सबसे ज्यादा सबसे बड़ी चीज आनंद से रहिए।
सभी श्रोताओं को मेरा बहुत बहुत नमस्कार।
इंटेलिजेंट एक्सिस्टेंस® 22 नवंबर, 2023 को रांची, भारत में आयोजित प्रेम रावत जी के जिज्ञासा फोकस सत्र से इस प्रेरक सामग्री को प्रस्तुत करता है।
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भारत और दुनिया भर के अन्य स्थानों में, होली का त्योहार वसंत के स्वागत और प्यार के सम्मान का प्रतीक है। रंगो से भरी इस परंपरा का प्रारम्भ भारत में रविवार, 28 मार्च से होगा और सोमवार 29 मार्च को सम्पन्न होगा।
इस अवसर पर प्रेम रावत जी ने हिंदी में आपके लिए एक पूर्व निर्मित सन्देश तैयार किया है। ऐप और वेबसाइट के माध्यम से आपकी सुविधानुसार, कभी भी इस वीडियो का आनंद लें।
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