'फोकस 5 अमरू 2022' के इस अंतिम सत्र के दौरान, श्री प्रेम रावत जी ने पारंपरिक भारतीय कहानियों और आधुनिक उदाहरणों के मिश्रण का उपयोग करते हुए हिंदी और अंग्रेजी में बात की। उन्होंने कहा कि आज की दुनिया में मनुष्य का मूल्य लुप्त होता जा रहा है। राजनीतिक औचित्य के युग में रहने के बावजूद, हम करीब होने के बजाय तेज़ी से विभाजित हो रहे हैं।
श्री प्रेम रावत जी हमें याद दिलाते हैं कि हम अपने आस-पास की दुनिया में प्रेम और सहानुभूति की तलाश करते हैं, यह जाने बिना कि जिस चीज़ की हमें तलाश है वह हमरे भीतर ही है। जैसा कि वह वर्षों से कहते आ रहे हैं, जब हम में से प्रत्येक व्यक्ति दयालु हो जाएगा, तभी समस्त समाज भी दयालु होगा। धारणाओं के बिना, व्यक्तिगत अनुभव से परमात्मा को समझने में अपना जीवन व्यतीत करें। धारणाएँ ऐसा विष है जो हमें आगे बढ़ने से रोकती है।
गुरुवार की शाम, भारी वर्षा के कारण सत्र को एक नए स्थान पर ले जाया गया किन्तु बाहरी कठिनाइयों के बावजूद, श्री प्रेम रावत जी का सन्देश स्पष्ट और प्रभावशाली था। ‘फोकस 5’ के अंतिम दिन की सुबह, श्री प्रेम रावत जी ने सम्पूर्ण श्रृंखला के अनुभव का निचोड़ साझा करते हुए महत्वपूर्ण विषयों पर विचार किया। पानी की बोतल की उपमा देते हुए उन्होंने कहा की बोतल उतनी महत्वपूर्ण नहीं होती जितना पानी पीना होता है।
श्री प्रेम रावत जी ने उपस्थित लोगों और टाइमलेस टुडे के सीधे प्रसारण से जुड़े दर्शकों को याद दिलाते हुए कहा कि आप कौन हैं, यह जानना एक ऐसी यात्रा है जो जीवन पर्यन्त समाप्त नहीं होती। जीवन की सुंदरता और अनुभव, एक खोज के बारे में है। यह जीवन भर की खोज है - आपका जीवन की।
श्री प्रेम रावत जी ने कहा कि प्रतिदिन जीवन की यात्रा की सराहना करना और उसका आनंद लेना महत्वपूर्ण है। और अपने हृदय में शांति और संतुष्टि का अनुभव करने लिए कभी भी देरी नहीं होती। उन्होंने कहा “वास्तविकता के अलावा स्वयं को बाकी विषयों से मुक्त करें।”
चौथे दिन, दोपहर के ‘फोकस 5’ के सत्र में दर्शकों को बातचीत की अनुमति मिली। श्री प्रेम रावत जी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि हमें जीवन को एक सुंदर नाटक के रूप में देखना चाहिए और इसका आनंद लेना चाहिए। प्रेम की पवित्रता की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि बिना शोरगुल का प्रेम ही सच्चा प्रेम है। और, उन्होंने स्मरण कराया कि वास्तविकता सुंदर है, और इसके लिए विकल्प बनाने की कोई आवश्यकता नहीं है।
सुबह का यह सत्र, उपस्थित लोगों के लिए अभिव्यक्ति का अवसर था। श्री प्रेम रावत जी की भूमिका और हर दिन जीवन का आनंद लेना - इस अनुभव की लोगों ने खुलकर सराहना की। श्री प्रेम रावत जी ने परिहास करते हुए कहा कि यह सत्र "माइक्रोफोन के साथ खेलने का दिन था।" कई तरह की अभिव्यक्तियों के बीच, उन्होंने दर्शकों को स्मरण कराया कि समय एक ऐसी चीज़ है, जो हमारे पास नहीं है, किन्तु हम सोचते हैं कि हमारे पास है। यह भूलकर, हमें आज जो करना चाहिए उसे कल पर टाल देते हैं।
अमारू के ‘फ़ोकस 5’ कार्यक्रम के अद्भुत समावेश और श्री प्रेम रावत जी को एक और अवसर ने हमें याद दिलाया कि जीवन के विकल्प हमारे नियंत्रण में हैं। उन्होंने समझाया कि दर्द भावनात्मक, शारीरिक और स्व अपेक्षाओं सहित कई रूप ले सकता है। उन्होंने सभी को प्रोत्साहित करते हुए याद दिलाया कि “हार मान लेना” सबसे बुरा कर्म है जो आप कर सकते हैं।
श्री प्रेम रावत जी ने संदेश जारी रखते हुए कहा कि हमेशा उम्मीद की एक किरण होती है और साहस रखते हुए आप स्वयं को जानने की यात्रा जारी रख सकेंगे। बाधाओं पर काबू पाने का सार हमारे दृष्टिकोण और समझ में निहित है। पौधों को पानी देना है या खरपतवार को - समय के साथ माली इन दोनों के बीच के अंतर को सीखता है। और सही चुनाव से अच्छी फसल उपजाता है।
श्री प्रेम रावत जी चेतावनी देते हुए यह बताते हैं की दुनिया हमसे कई वादे करती है पर हमें मिलता कुछ नहीं जबकि आंतरिक बुद्धिमता हमसे कोई वादा नहीं करती किन्तु सब कुछ प्रदान करती है। कृतज्ञता का अनुभव करते हुए हम अंधकार में भी जश्न मना सकते हैं।
श्री प्रेम रावत जी ने अमारू श्रृंखला के इस सत्र में, प्रेम रावत फाउंडेशन (TPRF) के साथ किए गए कार्यों पर प्रकाश डाला। एक प्रतिष्ठित पैनल को मंच पर आमंत्रित कर उन्होंने, उस अविश्वसनीय प्रभाव के बारे में चर्चा की जो शांति शिक्षा कार्यक्रम (Peace Education Program) दुनिया भर के लोगों पर डाल रहा है।
इस कार्यक्रम (Peace Education Program) की शुरुआत 10 वर्ष पूर्व हुई थी। पैनल ने साझा किया कि अब यह कार्यक्रम 80 देशों में 300,000 लोगों तक पहुँच गया है। गंभीर कहानियां साझा करते हुए यह भी व्यक्त किया कि कैसे इस कार्यक्रम में भाग लेकर विश्वविद्यालय के छात्रों, गिरोह के सदस्यों, कैदियों और अन्य लोगों ने अपना जीवन परिवर्तित किया है।
श्री प्रेम रावत जी बताते हैं कि कैसे यह कार्यक्रम उनके प्रयास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है और वे उन लोगों को धन्यवाद देते हैं जिन्होंने इसे पूरा करने में मदद की है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि टी पी आर एफ (TPRF) का फ़ूड फ़ॉर पीपल (जन भोजन) कार्यक्रम कैसे वंचित समुदायों में गरीबी के कुचक्र को तोड़ने में सहायता कर रहा है। एक बैठक में, श्री प्रेम रावत जी ने दुनिया भर से आए टी पी आर एफ (TPRF) के स्वयंसेवकों के एक समूह के साथ कुछ समय बिताया।
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