कितना घमण्ड करता है मनुष्य! मैं देखता हूं अपने जीवन के अंदर। मैं बहुत जगह जाता हूं। जहां देखता हूं — किसी को किसी चीज का घमण्ड है, किसी को किसी चीज का घमण्ड है, किसी को किसी चीज का घमण्ड है, किसी को किसी चीज का घमण्ड है।
कोई अपनी पढ़ाई पर घमण्ड करता है, कोई अपने नाम पर घमण्ड करता है, कोई अपनी दौलत पर घमण्ड करता है। जो-जो मनुष्य ने हासिल किया, उस पर घमण्ड करता है। परंतु ये इसलिए घमण्ड करता है, क्योंकि उसको याद नहीं है कि एक दिन उसको जाना है और जिस दिन उसको यह बात स्पष्ट हो जाएगी कि जाना है, तो घमण्ड करने का फायदा क्या?
- प्रेम रावत
ऐंकर : तो ये आपको हजारों लोग, लाखों लोग सुनने आते हैं और आप उनको शांति का, प्रेम का, मानवता का संदेश दे रहे हैं। क्या कुछ ऐसे उदाहरण आप हमारे सामने रख सकते हैं कि आपकी बात से, आपकी सोच के कारण कई लोगों के जीवन में बदलाव आया ?
प्रेम रावत जी : देखिए! मैं अपनी प्रशंसा अपने मुंह से नहीं करना चाहता हूं। पर मैं आपको एक बात बताता हूं, जो मैंने देखा है कि बहुत सारे जेलों में हमारे वीडियोज़ जाते हैं और ‘पीस एजुकेशन प्रोग्राम’ एक हमारा है, जो कि जेलों में दिखाया जाता है।
ऐंकर : अच्छा!
प्रेम रावत जी : अब ये क्यों ?
ऐंकर : जी!
प्रेम रावत जी : हम धर्म की बात नहीं करते हैं। हम कर्म की बात नहीं करते हैं। हम विचारने की बात करते हैं, क्योंकि एक बार आप सोचें, फिर क्या करना है, ये आप अपने जीवन में निर्णय ले सकेंगे और सही निर्णय ले सकेंगे।
प्रेम रावत:
सबसे बड़ी बात है कि आप लोग यहां आये और आप शांति में दिलचस्पी रखते हैं। यह अपने में एक बहुत बड़ी बात है। छोटी बात नहीं है। मैं कुछ चीजें आपको कहूंगा जिन पर आप विचार करिये। अगर इस सारे संसार को देखा जाये तो मनुष्य को क्या-क्या चाहिए, मनुष्य की जरूरतें क्या हैं ? असली जरूरत। मैं उन चीजों की बात कर रहा हूं जिनके बिना मनुष्य जीवित नहीं रह सकेगा। सो, एक तो उसको भोजन चाहिए क्योंकि अगर उसको दो हफ्ते, तीन हफ्ते, अगर उसको भोजन नहीं मिला तो यह शरीर जो है, शट डाउन, गया। उसको हवा चाहिए अगर उसको हवा नहीं मिली, स्वांस, तीन मिनट, चार मिनट, पांच मिनट। अब कई लोग हैं, जो कहते हैं कि हम तो इससे ज्यादा रोक सकते हैं। परंतु उनको कहिए कि अच्छा, रोकिये, तो वो बड़ी स्वांस लेंगे पहले। नहीं, सारी स्वांस निकाल कर के रोकिये। क्योंकि अगर जब आपने इतने अपने लंग्स भर लिए हैं ऑक्सीजन से, तो आप अभी भी हवा सप्लॉय कर रहे हैं अपनी बॉडी को, अपने शरीर को। और उसको क्या चाहिए ? उसको पानी की जरूरत है। मनुष्य को पानी की जरूरत है। तीन दिन, चार दिन, पांच दिन पानी न मिले तो वो गया। मैं फिजीकल नीड्स की बात कर रहा हूं जिसके बिना मनुष्य जीवित नहीं रह सकेगा। मैं टेलीविज़न की बात नहीं कर रहा हूं क्योंकि अगर कोई बिना भोजन के मर गया तो उसके लिए मेडिकल टर्म है — ‘स्टारवेशन’। वो मरा स्टारवेशन से। कोई अगर पानी के बिना मर गया तो उसके लिए भी मेडिकल टर्म है, वो मर गया ‘डि-हाइड्रेशन’ से। और अगर कोई मर गया बिना हवा के, ऑक्सीजन के तो उसके लिए भी मेडिकल टर्म है — ‘सफोकेशन’। पर अगर कोई मर गया बिना टी वी देखने के तो उसके लिए कोई मेडिकल टर्म नहीं है, क्योंकि वो इम्पॉर्टेन्ट नहीं है। मैं बात कर रहा हूं आपकी जरूरतें और आपकी चाहतों की। आपकी चाहतें हैं — आप टी वी देखें, आप मूवीज़ में जाएं, आप रेस्टोरेन्ट्स में जाएं, आप पार्टीज़ में जाएं, आप ये करें, वो करें, सोशल फंक्शन में जाएं, उस सोशल फंक्शन में जाएं पर आपके शरीर की जो नीड हैं, वो अलग हैं।
प्रेम रावत:
सबसे बड़ी बात है कि आप लोग यहां आये और आप शांति में दिलचस्पी रखते हैं। यह अपने में एक बहुत बड़ी बात है। छोटी बात नहीं है। मैं कुछ चीजें आपको कहूंगा जिन पर आप विचार करिये। अगर इस सारे संसार को देखा जाये तो मनुष्य को क्या-क्या चाहिए, मनुष्य की जरूरतें क्या हैं ? असली जरूरत। मैं उन चीजों की बात कर रहा हूं जिनके बिना मनुष्य जीवित नहीं रह सकेगा। सो, एक तो उसको भोजन चाहिए क्योंकि अगर उसको दो हफ्ते, तीन हफ्ते, अगर उसको भोजन नहीं मिला तो यह शरीर जो है, शट डाउन, गया। उसको हवा चाहिए अगर उसको हवा नहीं मिली, स्वांस, तीन मिनट, चार मिनट, पांच मिनट। अब कई लोग हैं, जो कहते हैं कि हम तो इससे ज्यादा रोक सकते हैं। परंतु उनको कहिए कि अच्छा, रोकिये, तो वो बड़ी स्वांस लेंगे पहले। नहीं, सारी स्वांस निकाल कर के रोकिये। क्योंकि अगर जब आपने इतने अपने लंग्स भर लिए हैं ऑक्सीजन से, तो आप अभी भी हवा सप्लॉय कर रहे हैं अपनी बॉडी को, अपने शरीर को। और उसको क्या चाहिए ? उसको पानी की जरूरत है। मनुष्य को पानी की जरूरत है। तीन दिन, चार दिन, पांच दिन पानी न मिले तो वो गया। मैं फिजीकल नीड्स की बात कर रहा हूं जिसके बिना मनुष्य जीवित नहीं रह सकेगा। मैं टेलीविज़न की बात नहीं कर रहा हूं क्योंकि अगर कोई बिना भोजन के मर गया तो उसके लिए मेडिकल टर्म है — ‘स्टारवेशन’। वो मरा स्टारवेशन से। कोई अगर पानी के बिना मर गया तो उसके लिए भी मेडिकल टर्म है, वो मर गया ‘डि-हाइड्रेशन’ से। और अगर कोई मर गया बिना हवा के, ऑक्सीजन के तो उसके लिए भी मेडिकल टर्म है — ‘सफोकेशन’। पर अगर कोई मर गया बिना टी वी देखने के तो उसके लिए कोई मेडिकल टर्म नहीं है, क्योंकि वो इम्पॉर्टेन्ट नहीं है। मैं बात कर रहा हूं आपकी जरूरतें और आपकी चाहतों की। आपकी चाहतें हैं — आप टी वी देखें, आप मूवीज़ में जाएं, आप रेस्टोरेन्ट्स में जाएं, आप पार्टीज़ में जाएं, आप ये करें, वो करें, सोशल फंक्शन में जाएं, उस सोशल फंक्शन में जाएं पर आपके शरीर की जो नीड हैं, वो अलग हैं।
प्रेम का सन्देश : प्रेम रावत जी के साथ विशेष उत्सव
प्रेम रावत जी के विश्व भर में आंतरिक शांति सिखाने के संकल्प के 52 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में।
वेबसाइट और ऐप दोनों पर उपलब्ध।
हमारी शुभ कामनाओं सहित प्रेम रावत जी का व्यक्तिगत संदेश देखें ।
इस विशेष उत्सव के पूरे वीडियो या ऑडियो का आनंद लें।
यह विशेष वीडियो भारत की प्राचीन परंपरा के सम्मान में है जो एक शिक्षक और शिष्य के सम्बन्ध को दर्शाती है और इसी दिन प्रेम रावत जी के मात्र आठ वर्ष की आयु में आत्मज्ञान का शिक्षक बनने का स्मरण भी कराती है।
प्रेम रावत जी पिछले पांच दशकों में विश्व भर में शांति और मानवता के लिए किये गए अपने अथक प्रयासों को व्यक्त करते हैं, जिनमें लाखों लोग उनसे लाइव कार्यक्रमों, टेलीविज़न, रेडियो, इंटरनेट और उनके साहित्यिक कार्यों के माध्यम से जुड़े हुए हैं ।
वीडियो और ऑडियो हिंदी में है, जो इंग्लिश और स्पेनिश अनुवाद में भी उपलब्ध है।
नोट : यदि आप कार्यक्रम का शुरूआती वीडियो छोड़ना चाहते हैं तो कृपया नोट करें कि प्रेम रावत जी का मुख्य सम्बोधन 14 मिनट 18 सेकण्ड से शुरू होगा।
प्रेम का सन्देश : प्रेम रावत जी के साथ विशेष उत्सव
प्रेम रावत जी के विश्व भर में आंतरिक शांति सिखाने के संकल्प के 52 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में।
वेबसाइट और ऐप दोनों पर उपलब्ध।
हमारी शुभ कामनाओं सहित प्रेम रावत जी का व्यक्तिगत संदेश देखें ।
इस विशेष उत्सव के पूरे वीडियो या ऑडियो का आनंद लें।
यह विशेष वीडियो भारत की प्राचीन परंपरा के सम्मान में है जो एक शिक्षक और शिष्य के सम्बन्ध को दर्शाती है और इसी दिन प्रेम रावत जी के मात्र आठ वर्ष की आयु में आत्मज्ञान का शिक्षक बनने का स्मरण भी कराती है।
प्रेम रावत जी पिछले पांच दशकों में विश्व भर में शांति और मानवता के लिए किये गए अपने अथक प्रयासों को व्यक्त करते हैं, जिनमें लाखों लोग उनसे लाइव कार्यक्रमों, टेलीविज़न, रेडियो, इंटरनेट और उनके साहित्यिक कार्यों के माध्यम से जुड़े हुए हैं ।
वीडियो और ऑडियो हिंदी में है, जो इंग्लिश और स्पेनिश अनुवाद में भी उपलब्ध है।
नोट : यदि आप कार्यक्रम का शुरूआती वीडियो छोड़ना चाहते हैं तो कृपया नोट करें कि प्रेम रावत जी का मुख्य सम्बोधन 14 मिनट 18 सेकण्ड से शुरू होगा।