एक झलक:
कोई ऐसी चीज मैं देना चाहता हूं आपको वचनों के द्वारा, जिससे आपके जीवन के अंदर सुख आये। मैं कुछ ऐसी चीज देना चाहता हूं आपको अपने वचनों के द्वारा कि आप विचार करें कि सचमुच में आप कितने भाग्यशाली हैं! ये स्वांस जो आपके अंदर आ रहा है, ये उस चीज का एक witness (गवाह) है कि आप पर उस परमपिता परमेश्वर की कृपा अभी भी है।
- श्री प्रेम रावत, देहरादून, उत्तराखंड, भारत
एक झलक :
शांति कब होगी ? शांति कब होगी ?
जब यह हृदय रूपी चिराग जलेगा, तब जाकर के यह अंधेरा हटेगा, उससे पहले नहीं। यह इतना घोर अंधेरा है, क्योंकि यह अंधेरा है अज्ञानता का। अज्ञानता का अंधेरा है। और जब तक यह अंधेरा रहेगा, तुम देख नहीं सकोगे, ठोंकरे खाते फिरोगे, क्योंकि तुम देख नहीं सकते हो। और जिस दिन यह हृदय रूपी चिराग, इसमें उजाला होगा, तब जाकर के तुमको दिखाई देगा कि असलियत क्या है।
- श्री प्रेम रावत
भूले मन समझ के लाद लदनियां।
थोड़ा लाद, बहुत मत लादे, टूट जाए तेरी गरदनियां।।
आनंद लेना शुरू करो अपने जीवन का। और लालच तुम्हारा जाएगा, गर्दन तुम्हारी बच जाएगी। टूटेगी नहीं और तुमको दुःखी नहीं होना पड़ेगा। और उस सुख में, उस आनंद में रह करके यह जीवन तुम बिता सकते हो।
- प्रेम रावत: बरैली, भारत
भूले मन समझ के लाद लदनियां।
थोड़ा लाद, बहुत मत लादे, टूट जाए तेरी गरदनियां।।
आनंद लेना शुरू करो अपने जीवन का। और लालच तुम्हारा जाएगा, गर्दन तुम्हारी बच जाएगी। टूटेगी नहीं और तुमको दुःखी नहीं होना पड़ेगा। और उस सुख में, उस आनंद में रह करके यह जीवन तुम बिता सकते हो।
- प्रेम रावत: बरैली, भारत
सारांश: आज विश्व के कई देशों की जेलों में प्रेम रावत अपना मानवता व शांति का संदेश दे रहे हैं, चाहे वे अमेरिका में हों या आस्ट्रेलिया में, भारत में हों या साउथ अमेरिका में। उनके संदेश ने कई कैदियों के जीवन में आशा की रोशनी जगाई है और वे पीस एजुकेशन में भाग लेकर जेल में रहते हुए भी शांति को महसूस कर रहे हैं।
हाल ही में प्रेम रावत जी ने पुणे स्थित येरवडा मध्यवर्ती कारागृह में कैदियों को सम्बोधित किया। यह संदेश जितना उन कैदियों के लिए प्रेरणादायक है, उतना ही हम सब लोगों के लिए भी। आशा है आप इस ऑडियो का भरपूर लाभ उठायेंगे।
एक झलक:
बूंद समाई समुद्र में, ये जानत सब कोय।
समुद्र समाया बूंद में, समझे बिरला कोय।।
तुम हो वो बूंद और तुम्हारे अंदर है वो समुद्र। और जब तक उस समुद्र को तुम समझ नहीं पाओगे, तब तक तुम्हारे अंदर की प्यास बुझेगी नहीं। लगी रहेगी, लगी रहेगी, लगी रहेगी, लगी रहेगी, लगी रहेगी और तुम तरह-तरह के नखरे करते रहोगे अपनी प्यास को बुझाने के लिए, पर प्यास बुझेगी नहीं। क्योंकि जब तक बच्चा अपनी मां से नहीं मिल जायेगा, तब तक वो शांत होगा नहीं। जब तक बच्चा अपनी मां से नहीं मिल जायेगा, तब तक वो शांत होगा नहीं। जब तक इस हृदय के अंदर उस परमपिता परमेश्वर का, आनंद का अनुभव नहीं होगा, जो है, पर जानते नहीं हैं। बस! इतनी सी बात है।
- श्री प्रेम रावत