प्रेम रावत जी के साथ जन्मदिन का उत्सव मनाइये और इस पुनः प्रसारण के द्वारा उनके जन्मदिन के सन्देश का आनंद लीजिये।
अब हिंदी और अंग्रेजी में
0:00:00 - 0:04:32 - गीत (इंडी रूट्स)
0:04:32 - 0:10:33 - गीत (जमात खान)
0:10:33 - 0:11:45 - एम् सी द्वारा श्री प्रेम रावत जी का स्वागत
0:11:45 - 1:26:31 - श्री प्रेम रावत
प्रेम रावत जी के साथ जन्मदिन का उत्सव मनाइये और इस पुनः प्रसारण के द्वारा उनके जन्मदिन के सन्देश का आनंद लीजिये।
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पचपन वर्ष पूर्व जुलाई में, प्रेम रावत जी ने, मानवता तक आत्मज्ञान पहुँचाने के अपने पिता के दृष्टिकोण का उत्तरदायित्व स्वीकार किया था। उनके अथक प्रयासों के सुखद प्रभावों की सराहना करते हुए, 23 जुलाई, 2021 को हिंदी में प्रेम रावत जी के संबोधन का सीधा प्रसारण किया गया।
ऐप्प और वेबसाइट के माध्यम से टाइमलेस टुडे क्लासिक या प्रीमियर सदस्यता के साथ इस पुनः प्रसारण का आनंद लें।
एक अंश:
आज गुरु पूर्णिमा का दिन है। आज के दिन और भी फर्ज़ बनता है मेरा कि मैं सभी लोगों को जो मेरी बात सुनना चाहते हैं, मैं उनको एक ऐसी बात सुनाऊं, उनको एक ऐसी बात समझाऊं जिससे उनका भला हो। तो मैं ऐसी बात सभी लोगों को समझाना चाहता हूं और वो यह है कि तुम किसकी नौकरी कर रहे हो ? अपनी ? अपनी ? क्योंकि अगर तुम अपने मालिक हो, तो कुछ मिलेगा नहीं। न यहां मिलेगा न वहां मिलेगा। कहीं नहीं मिलेगा। अगर इस दुनिया की नौकरी कर रहे हो, अगर कुछ मिल भी गया तब भी कुछ नहीं मिलेगा। जैसे, सिकंदर ने कहा, "खाली हाथ आया था, खाली हाथ जा रहा हूँ।" खाली हाथ आया था, खाली हाथ जा रहा हूँ। तो किसकी नौकरी कर रहे हो ? किसका चिंतन करते हो ? अपना ? माया का ? अगर माया का चिंतन करते हो, कुछ नहीं मिलने वाला। न अब, न बाद में, न रिटायरमेंट में, कुछ नहीं। अगर, अगर तुम उस सतनाम की चिंता करते हो, उस सतनाम की नौकरी कर रहे हो, तो तुम्हारे पास इतनी जगह नहीं है जितना तुमको मिल रहा है। मिलने वाला नहीं, मिल रहा है। उसको तुम बटोर नहीं सकते। पर उसकी, उस करेंसी की एक ही पहचान है और वह है 'परमानन्द — आनंद।' अभी मैंने सुनाया था परमानैंट (Permanent) — परमानंद। बहुत नजदीक-नजदीक हैं। और वही एक चीज है जो परमानैंट है, परमानन्द।...
—प्रेम रावत
पचपन वर्ष पूर्व जुलाई में, प्रेम रावत जी ने, मानवता तक आत्मज्ञान पहुँचाने के अपने पिता के दृष्टिकोण का उत्तरदायित्व स्वीकार किया था। उनके अथक प्रयासों के सुखद प्रभावों की सराहना करते हुए, 23 जुलाई, 2021 को हिंदी में प्रेम रावत जी के संबोधन का सीधा प्रसारण किया गया।
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एक अंश:
आज गुरु पूर्णिमा का दिन है। आज के दिन और भी फर्ज़ बनता है मेरा कि मैं सभी लोगों को जो मेरी बात सुनना चाहते हैं, मैं उनको एक ऐसी बात सुनाऊं, उनको एक ऐसी बात समझाऊं जिससे उनका भला हो। तो मैं ऐसी बात सभी लोगों को समझाना चाहता हूं और वो यह है कि तुम किसकी नौकरी कर रहे हो ? अपनी ? अपनी ? क्योंकि अगर तुम अपने मालिक हो, तो कुछ मिलेगा नहीं। न यहां मिलेगा न वहां मिलेगा। कहीं नहीं मिलेगा। अगर इस दुनिया की नौकरी कर रहे हो, अगर कुछ मिल भी गया तब भी कुछ नहीं मिलेगा। जैसे, सिकंदर ने कहा, "खाली हाथ आया था, खाली हाथ जा रहा हूँ।" खाली हाथ आया था, खाली हाथ जा रहा हूँ। तो किसकी नौकरी कर रहे हो ? किसका चिंतन करते हो ? अपना ? माया का ? अगर माया का चिंतन करते हो, कुछ नहीं मिलने वाला। न अब, न बाद में, न रिटायरमेंट में, कुछ नहीं। अगर, अगर तुम उस सतनाम की चिंता करते हो, उस सतनाम की नौकरी कर रहे हो, तो तुम्हारे पास इतनी जगह नहीं है जितना तुमको मिल रहा है। मिलने वाला नहीं, मिल रहा है। उसको तुम बटोर नहीं सकते। पर उसकी, उस करेंसी की एक ही पहचान है और वह है 'परमानन्द — आनंद।' अभी मैंने सुनाया था परमानैंट (Permanent) — परमानंद। बहुत नजदीक-नजदीक हैं। और वही एक चीज है जो परमानैंट है, परमानन्द।...
—प्रेम रावत
रविवार, २५ अप्रैल, २०२१ को प्रेम रावत जी द्वारा संबोधित , ४८ मिनट के लुभावने वैश्विक आभासी कार्यक्रम में, दर्शकों द्वारा लिखित अभिप्राय जैसे मरण उपरांत क्या होता है - ऐसे विषय पर चर्चा की । दर्शकों को शब्दों में न उलझने का परामर्श देते हुए प्रेम रावत जी ने कहा कि एक वास्तविकता है जिसका अनुभव प्रतिदिन जीवन को ज्ञप्ति और श्रेष्ठता की ओर ले जाता है।
क्लासिक या प्रीमियर सदस्यता के साथ अपनी सुविधानुसार आनंद लेने के लिए अब उपलब्ध इस मांग पर पुनः प्रसारण को देखना न भूलें।
पुनः प्रसारण सुने या देखें और प्रेरित हों!
रविवार, २५ अप्रैल, २०२१ को प्रेम रावत जी द्वारा संबोधित , ४८ मिनट के लुभावने वैश्विक आभासी कार्यक्रम में, दर्शकों द्वारा लिखित अभिप्राय जैसे मरण उपरांत क्या होता है - ऐसे विषय पर चर्चा की । दर्शकों को शब्दों में न उलझने का परामर्श देते हुए प्रेम रावत जी ने कहा कि एक वास्तविकता है जिसका अनुभव प्रतिदिन जीवन को ज्ञप्ति और श्रेष्ठता की ओर ले जाता है।
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