एक झलक
ऐंकर : यही चीजें आपको औरों से अलग बनाती हैं। आपकी जो मुझे कैटेगरी नजर आती है, जिस तरीके से मैंने आपको सुना — यूट्यूब पर भी सुना और साक्षात् सुनकर आया मैं, तो औरों से अलग हैं आप। तो कैसे आप अपने आपको अलग मानते हैं उन सबसे ?
प्रेम रावत जी : देखिए! एक तो मैं अपने आपको मनुष्य मानता हूं।
ऐंकर : जी!
प्रेम रावत जी : और मनुष्य होने के नाते मुझे इसमें गर्व है। और लोगों को जो देखता हूं, वो समझते हैं कि मनुष्य सबसे नीचे है। मैं समझता हूं कि मनुष्य सबसे ऊपर है।
ऐंकर : बहुत अच्छे!
प्रेम रावत जी : तो यह बात अलग है। तो लोग कहते हैं कि "हमको पूजो"!
हम कहते हैं, "नहीं, तुम अपने आपको पूजना शुरू करो! जो तुम्हारे अंदर है, उसको पूजना शुरू करो!"
लोग कहते हैं, "हमको आशीर्वाद दीजिए!"
मैंने कहा कि "जिसका आशीर्वाद तुम्हारे सिर पर है, तुम चाहते हो कि मैं उसका हाथ हटाकर के अपना हाथ रखूं ? मेरे में, तुम में कोई अंतर नहीं है। मेरे को भी दुःख होता है, तुमको भी दुःख होता है। इसीलिए मैं तुमसे बात कर सकता हूं। क्योंकि मेरा अनुभव है कि मनुष्य होने के नाते हम उस चीज का भी अनुभव कर सकते हैं, जो हमारे जीवन में शांति लाए और उस चीज का भी अनुभव कर सकते हैं, जो अशांति लाए।"
ऐंकर : तो ये आपको हजारों लोग, लाखों लोग सुनने आते हैं और आप उनको शांति का, प्रेम का, मानवता का संदेश दे रहे हैं। क्या कुछ ऐसे उदाहरण आप हमारे सामने रख सकते हैं कि आपकी बात से, आपकी सोच के कारण कई लोगों के जीवन में बदलाव आया ?
प्रेम रावत जी : देखिए! मैं अपनी प्रशंसा अपने मुंह से नहीं करना चाहता हूं। पर मैं आपको एक बात बताता हूं, जो मैंने देखा है कि बहुत सारे जेलों में हमारे वीडियोज़ जाते हैं और ‘पीस एजुकेशन प्रोग्राम’ एक हमारा है, जो कि जेलों में दिखाया जाता है।
ऐंकर : अच्छा!
प्रेम रावत जी : अब ये क्यों ?
ऐंकर : जी!
प्रेम रावत जी : हम धर्म की बात नहीं करते हैं। हम कर्म की बात नहीं करते हैं। हम विचारने की बात करते हैं, क्योंकि एक बार आप सोचें, फिर क्या करना है, ये आप अपने जीवन में निर्णय ले सकेंगे और सही निर्णय ले सकेंगे।
ऐंकर : तो ये आपको हजारों लोग, लाखों लोग सुनने आते हैं और आप उनको शांति का, प्रेम का, मानवता का संदेश दे रहे हैं। क्या कुछ ऐसे उदाहरण आप हमारे सामने रख सकते हैं कि आपकी बात से, आपकी सोच के कारण कई लोगों के जीवन में बदलाव आया ?
प्रेम रावत जी : देखिए! मैं अपनी प्रशंसा अपने मुंह से नहीं करना चाहता हूं। पर मैं आपको एक बात बताता हूं, जो मैंने देखा है कि बहुत सारे जेलों में हमारे वीडियोज़ जाते हैं और ‘पीस एजुकेशन प्रोग्राम’ एक हमारा है, जो कि जेलों में दिखाया जाता है।
ऐंकर : अच्छा!
प्रेम रावत जी : अब ये क्यों ?
ऐंकर : जी!
प्रेम रावत जी : हम धर्म की बात नहीं करते हैं। हम कर्म की बात नहीं करते हैं। हम विचारने की बात करते हैं, क्योंकि एक बार आप सोचें, फिर क्या करना है, ये आप अपने जीवन में निर्णय ले सकेंगे और सही निर्णय ले सकेंगे।
सईद नक़वी : हैलो! मैं सईद नक़वी हूं। पत्रकार था, टेलीविज़न का प्रेज़ेंटर भी हूं, एंकर भी हूं और कॉलम्निस्ट भी हूं। मैंने, इंटरनेशनल अफेयर्स पर मेरी रुची सबसे ज्यादा रही। नेल्सन मंडेला का सबसे पहला इंटरव्यू मेरा था। फिदेल कास्त्रो हुए, गद्दाफ़ी मुअम्मर गद्दाफ़ी, प्रेज़िडेंट जिआ-उल-हक़, बेनज़ीर भुट्टो, ये सब से मैंने इंटरव्यूज़ लिए और यही मेरा काम रहा कि सारी ज़िन्दगी मैं टेलीविज़न के लिए और प्रिंट के लिए। कई अखबारों के लिए काम किया, विलायत में संडे टाइम्स के लिए काम किया। अमेरिका में बोस्टन ग्लोब का फॉरेन एडिटर रहा मैं।
जब मेरे पास लोग आए कि मैं एक, मेरी समझ में नहीं आया कि प्रेम रावत जी क्या हैं ? गॉड मैन हैं, स्प्रीचुवल लीडर हैं, साधू हैं, संत हैं तो भई किसके लिए मैं अपने आप को तैयार करूं।
सईद नक़वी : इस प्रोग्राम में, मैं आपको क्या कह के, आपको क्या कहूं कि आप गुरु जी हैं, आप महाराजी हैं, आप फ़लसफी हैं, फिलॉसफर हैं, आप हैं क्या ? और आपको दुनिया इतना जो पूछती है, उसकी वजह क्या है ? ये जादू क्या है ?
प्रेम रावत : मैं तो मनुष्य हूं। और मेरा नाम मेरे मां-बाप ने प्रेम पाल सिंह रावत रखा था और लोग मेरे को कई नामों से पुकारते हैं। पर मैं वही हूं जो हूं। अब घर में भी बच्चों को कोई किसी नाम से पुकारता है, कोई किसी नाम से पुकारता है। पर इसका मतलब नहीं है कि वो बदल जाता है। मैं मनुष्य हूं, और ये मैंने पहली चीज़ समझी है। और अगर मैं अपनी मानवता को नहीं समझता हूं, अपनी मनुष्यता को नहीं समझता हूं तो मैं कुछ भी नहीं समझता हूं। अगर सिर्फ नाम ही में अटका रहूंगा तो मेरे को पता नहीं लगेगा कि मैं कौन हूं, मैं क्या हूं। और जो कुछ भी लोग मेरे को सम्मान देते हैं, सबकुछ देते हैं, और मैंने, ये मैं सबसे कहता हूं कि ठीक है, आप मेरे को सम्मान दे रहे हैं और मैं स्वीकार करता हूं परंतु ये सम्मान मेरा नहीं है। ये सम्मान सबके लिए है। हमलोग...
सईद नक़वी : हैलो! मैं सईद नक़वी हूं। पत्रकार था, टेलीविज़न का प्रेज़ेंटर भी हूं, एंकर भी हूं और कॉलम्निस्ट भी हूं। मैंने, इंटरनेशनल अफेयर्स पर मेरी रुची सबसे ज्यादा रही। नेल्सन मंडेला का सबसे पहला इंटरव्यू मेरा था। फिदेल कास्त्रो हुए, गद्दाफ़ी मुअम्मर गद्दाफ़ी, प्रेज़िडेंट जिआ-उल-हक़, बेनज़ीर भुट्टो, ये सब से मैंने इंटरव्यूज़ लिए और यही मेरा काम रहा कि सारी ज़िन्दगी मैं टेलीविज़न के लिए और प्रिंट के लिए। कई अखबारों के लिए काम किया, विलायत में संडे टाइम्स के लिए काम किया। अमेरिका में बोस्टन ग्लोब का फॉरेन एडिटर रहा मैं।
जब मेरे पास लोग आए कि मैं एक, मेरी समझ में नहीं आया कि प्रेम रावत जी क्या हैं ? गॉड मैन हैं, स्प्रीचुवल लीडर हैं, साधू हैं, संत हैं तो भई किसके लिए मैं अपने आप को तैयार करूं।
सईद नक़वी : इस प्रोग्राम में, मैं आपको क्या कह के, आपको क्या कहूं कि आप गुरु जी हैं, आप महाराजी हैं, आप फ़लसफी हैं, फिलॉसफर हैं, आप हैं क्या ? और आपको दुनिया इतना जो पूछती है, उसकी वजह क्या है ? ये जादू क्या है ?
प्रेम रावत : मैं तो मनुष्य हूं। और मेरा नाम मेरे मां-बाप ने प्रेम पाल सिंह रावत रखा था और लोग मेरे को कई नामों से पुकारते हैं। पर मैं वही हूं जो हूं। अब घर में भी बच्चों को कोई किसी नाम से पुकारता है, कोई किसी नाम से पुकारता है। पर इसका मतलब नहीं है कि वो बदल जाता है। मैं मनुष्य हूं, और ये मैंने पहली चीज़ समझी है। और अगर मैं अपनी मानवता को नहीं समझता हूं, अपनी मनुष्यता को नहीं समझता हूं तो मैं कुछ भी नहीं समझता हूं। अगर सिर्फ नाम ही में अटका रहूंगा तो मेरे को पता नहीं लगेगा कि मैं कौन हूं, मैं क्या हूं। और जो कुछ भी लोग मेरे को सम्मान देते हैं, सबकुछ देते हैं, और मैंने, ये मैं सबसे कहता हूं कि ठीक है, आप मेरे को सम्मान दे रहे हैं और मैं स्वीकार करता हूं परंतु ये सम्मान मेरा नहीं है। ये सम्मान सबके लिए है। हमलोग...
एक झलक :
ऐंकर:
और इसी मटके की तरह हम अपनी कमियां देख के जो हैं भविष्य का सामना करने से डरते हैं। और इसी डर में हम जीते हैं कि you know, भविष्य में क्या होगा ? भविष्य का सामना करने में हम डर जाते हैं। प्रेम! बताइए मुझे, इस डर को कैसे भगाएं ?
प्रेम रावत जी:
भविष्य है क्या ? एक समय है। खाली है। भविष्य खाली है। जो आप करेंगे, वो होगा उस भविष्य में। अगर आप डरेंगे तो आप डरते रहेंगे। भविष्य में भी डरते रहेंगे, आज भी डरेंगे और यही डर रहेगा। ये तो भविष्य एक खाली पेज है, एक खाली पन्ना है। क्या लिखना है उस पर ? ये आपके ऊपर है। बिल्कुल आपके ऊपर है! ये है आपका भविष्य!