दिल्ली में 124वें हंस जयंती समारोह के दूसरे सत्र में प्रेम रावत ने सच्ची संतुष्टि और आंतरिक शांति पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि मान-सम्मान अस्थायी होते हैं और अंततः समाप्त हो जाते हैं, इसलिए हमें केवल आंतरिक शांति पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
उन्होंने यह भी बताया कि शांति और संतुष्टि बाहरी चीजों से नहीं, बल्कि हमारे भीतर से आती है। प्रेम रावत जी ने संतुष्टि को प्यास या भूख के शांत होने से तुलना करते हुए कहा कि ये केवल अनुभव से पूरी होती हैं। असली आनंद बाहरी उपलब्धियों में नहीं, बल्कि आत्म-चेतना और आंतरिक संतोष में है।
प्रेम रावत जी ने श्रोताओं को यह समझने के लिए प्रेरित किया कि जो शक्ति पूरे ब्रह्मांड को चलाती है, वही शक्ति उनके अंदर भी है।
उनका संदेश यह था कि सच्ची संतुष्टि और आनंद बाहरी परिस्थितियों में नहीं, बल्कि अपने भीतर शांति और संतोष को अनुभव करने में है।
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124वें हंस जयंती समारोह के इस पहले सत्र में, श्री प्रेम रावत जी ने एक ऐसे गुरु के महत्व का उल्लेख किया जो आपके भीतर आत्म-ज्ञान का दीपक जला सकता है।
अपनी विद्वता और बेहतरीन वाक्-पटुता के साथ
उन्होंने समझाया कि जिस तरह एक दीपक अंधेरे में रोशनी फैलाता है, उसी तरह आत्म-ज्ञान की रोशनी हृदय की दुनिया में प्रकाश फैलाती है।
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19 अक्टूबर, 2024 को क्योटो, जापान में, कार्यक्रम सभापति श्री हिडेकी याबुहारा ने लेखक श्री प्रेम रावत जी और उनकी सबसे ज़्यादा बिकने वाली पुस्तक "हिअर यॉरसेल्फ़" के बहुप्रतीक्षित जापानी संस्करण का परिचय कराया। शांति के लिए मानवता की निरंतर लालसा के बारे में चर्चा करते हुए श्री प्रेम रावत जी ने करुणा के लिए पहचाने जाने के महत्व पर भी ज़ोर दिया।
कार्यक्रम का समापन श्री प्रेम रावत जी के द्वारा उपस्थित सभी लोगों पर एक अमिट छाप छोड़ते हुए, दर्शकों के छह प्रश्नों के उत्तरों के साथ हुआ।
19 अक्टूबर, 2024 को क्योटो, जापान में, कार्यक्रम सभापति श्री हिडेकी याबुहारा ने लेखक श्री प्रेम रावत जी और उनकी सबसे ज़्यादा बिकने वाली पुस्तक "हिअर यॉरसेल्फ़" के बहुप्रतीक्षित जापानी संस्करण का परिचय कराया। शांति के लिए मानवता की निरंतर लालसा के बारे में चर्चा करते हुए श्री प्रेम रावत जी ने करुणा के लिए पहचाने जाने के महत्व पर भी ज़ोर दिया।
कार्यक्रम का समापन श्री प्रेम रावत जी के द्वारा उपस्थित सभी लोगों पर एक अमिट छाप छोड़ते हुए, दर्शकों के छह प्रश्नों के उत्तरों के साथ हुआ।
श्री प्रेम रावत जी ने यूनाइटेड किंगडम में पहली बार 1971 में ग्लैस्टनबरी के पिरामिड स्टेज पर अपने विचार व्यक्त किए थे। तब से वह अक्सर यूनाइटेड किंगडम में आते रहे हैं। अब, लगभग 53 साल बाद, 8 जून, 2024 को, उन्होंने ब्राइटन में फिर से अपना अनोखा, सम्मोहक और हृदयस्पर्शी संदेश साझा किया।
जीवन का आनंद लेने और इसे समझने की कला पर एक बार फिर ध्यान केंद्रित करते हुए उन्होंने कहा कि, हालांकि हम जीवन को थाम नहीं रख सकते, लेकिन हम उससे मिलने वाले आनंद को संजो सकते हैं। चाहे हम लगातार बदलती तकनीकों से जूझ रहे हों या दुनिया में हो रही घटनाओं से घबरा रहे हों, हम अपना विवेक जगा सकते हैं और अपने समय का सदुपयोग कर सकते हैं।
अब आप अपनी क्लासिक या प्रीमियर सदस्यता द्वारा हिंदी अनुवाद सहित, सुविधानुसार ब्राइटन कार्यक्रम का पुनः प्रसारण देख या सुन सकते हैं।
श्री प्रेम रावत जी ने यूनाइटेड किंगडम में पहली बार 1971 में ग्लैस्टनबरी के पिरामिड स्टेज पर अपने विचार व्यक्त किए थे। तब से वह अक्सर यूनाइटेड किंगडम में आते रहे हैं। अब, लगभग 53 साल बाद, 8 जून, 2024 को, उन्होंने ब्राइटन में फिर से अपना अनोखा, सम्मोहक और हृदयस्पर्शी संदेश साझा किया।
जीवन का आनंद लेने और इसे समझने की कला पर एक बार फिर ध्यान केंद्रित करते हुए उन्होंने कहा कि, हालांकि हम जीवन को थाम नहीं रख सकते, लेकिन हम उससे मिलने वाले आनंद को संजो सकते हैं। चाहे हम लगातार बदलती तकनीकों से जूझ रहे हों या दुनिया में हो रही घटनाओं से घबरा रहे हों, हम अपना विवेक जगा सकते हैं और अपने समय का सदुपयोग कर सकते हैं।
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