View as
दूसरा सत्र: 124वाँ हंस जयंती समारोह 01:22:30 दूसरा सत्र: 124वाँ हंस जयंती समारोह Video Duration : 01:22:30 पुनः प्रसारण, श्री प्रेम रावत जी, दिल्ली से

दिल्ली में 124वें हंस जयंती समारोह के दूसरे सत्र में प्रेम रावत ने सच्ची संतुष्टि और आंतरिक शांति पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि मान-सम्मान अस्थायी होते हैं और अंततः समाप्त हो जाते हैं, इसलिए हमें केवल आंतरिक शांति पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

उन्होंने यह भी बताया कि शांति और संतुष्टि बाहरी चीजों से नहीं, बल्कि हमारे भीतर से आती है। प्रेम रावत जी ने संतुष्टि को प्यास या भूख के शांत होने से तुलना करते हुए कहा कि ये केवल अनुभव से पूरी होती हैं। असली आनंद बाहरी उपलब्धियों में नहीं, बल्कि आत्म-चेतना और आंतरिक संतोष में है।

प्रेम रावत जी ने श्रोताओं को यह समझने के लिए प्रेरित किया कि जो शक्ति पूरे ब्रह्मांड को चलाती है, वही शक्ति उनके अंदर भी है।

उनका संदेश यह था कि सच्ची संतुष्टि और आनंद बाहरी परिस्थितियों में नहीं, बल्कि अपने भीतर शांति और संतोष को अनुभव करने में है।

आपकी टाइमलेस टुडे की सदस्यता - प्रीमियर (वीडियो) या क्लासिक (ऑडियो) - के साथ आपको श्री प्रेम रावत जी की सभी प्रीमियम विषयवस्तु प्रविष्टि प्राप्त होगी, जिसमें सीधे प्रसारण, पुनः प्रसारण, लोकप्रिय श्रृंखला और बहुभाषी सामग्री शामिल है।

टाइमलेस टुडे की मेलिंग सूची से जुड़ें। अथवा WhatsApp चैनल के लिए इस लिंक पर जाएं और हमें फॉलो करें: https://whatsapp.com/channel/0029Va66SaLCRs1qHWJgSV1R

पहला सत्र: 124वाँ हंस जयंती समारोह 01:13:20 पहला सत्र: 124वाँ हंस जयंती समारोह Video Duration : 01:13:20 पुनः प्रसारण, श्री प्रेम रावत जी, दिल्ली से

124वें हंस जयंती समारोह के इस पहले सत्र में, श्री प्रेम रावत जी ने एक ऐसे गुरु के महत्व का उल्लेख किया जो आपके भीतर आत्म-ज्ञान का दीपक जला सकता है। 

अपनी विद्वता और बेहतरीन वाक्-पटुता के साथ 

उन्होंने समझाया कि जिस तरह एक दीपक अंधेरे में रोशनी फैलाता है, उसी तरह आत्म-ज्ञान की रोशनी हृदय की दुनिया में प्रकाश फैलाती है।

आपकी टाइमलेस टुडे की सदस्यता - प्रीमियर (वीडियो) या क्लासिक (ऑडियो) - के साथ आपको श्री प्रेम रावत जी की सभी प्रीमियम विषयवस्तु  प्रविष्टि प्राप्त होगी, जिसमें सीधे प्रसारण, पुनः प्रसारण, लोकप्रिय श्रृंखला और बहुभाषी सामग्री शामिल है।

टाइमलेस टुडे की मेलिंग सूची से जुड़ें। अथवा WhatsApp चैनल के लिए इस लिंक पर जाएं और हमें फॉलो करें: https://whatsapp.com/channel/0029Va66SaLCRs1qHWJgSV1R

आप यहाँ हैं 01:22:33 आप यहाँ हैं Video Duration : 01:22:33 श्री प्रेम रावत जी क्योटो, जापान में | हिन्दी

19 अक्टूबर, 2024 को क्योटो, जापान में, कार्यक्रम सभापति श्री हिडेकी याबुहारा ने लेखक श्री प्रेम रावत जी और उनकी सबसे ज़्यादा बिकने वाली पुस्तक "हिअर यॉरसेल्फ़" के बहुप्रतीक्षित जापानी संस्करण का परिचय कराया। शांति के लिए मानवता की निरंतर लालसा के बारे में चर्चा करते हुए श्री प्रेम रावत जी ने करुणा के लिए पहचाने जाने के महत्व पर भी ज़ोर दिया। 

कार्यक्रम का समापन श्री प्रेम रावत जी के द्वारा उपस्थित सभी लोगों पर एक अमिट छाप छोड़ते हुए, दर्शकों के छह प्रश्नों के उत्तरों के साथ हुआ।

आप यहाँ हैं 01:22:33 आप यहाँ हैं Audio Duration : 01:22:33 श्री प्रेम रावत जी क्योटो, जापान में | हिन्दी

19 अक्टूबर, 2024 को क्योटो, जापान में, कार्यक्रम सभापति श्री हिडेकी याबुहारा ने लेखक श्री प्रेम रावत जी और उनकी सबसे ज़्यादा बिकने वाली पुस्तक "हिअर यॉरसेल्फ़" के बहुप्रतीक्षित जापानी संस्करण का परिचय कराया। शांति के लिए मानवता की निरंतर लालसा के बारे में चर्चा करते हुए श्री प्रेम रावत जी ने करुणा के लिए पहचाने जाने के महत्व पर भी ज़ोर दिया। 

कार्यक्रम का समापन श्री प्रेम रावत जी के द्वारा उपस्थित सभी लोगों पर एक अमिट छाप छोड़ते हुए, दर्शकों के छह प्रश्नों के उत्तरों के साथ हुआ।

ख़यालों की दुनिया से परे 00:05:08 ख़यालों की दुनिया से परे Video Duration : 00:05:08 "वो तब भी था जब तुम नहीं थे। वो तब भी है जब तुम हो और वो तब भी रहेगा जब तुम नहीं...

(प्रेम रावत) जो हम चाहते हैं और जो असलियत है, इसमें विभाजन क्यों है ? जो हम चाहते हैं और असलियत जो है, उसमें विभाजन क्यों ये है ? वो दोनों चीज़ें अलग-अलग क्यों हैं ?

तो सुनिए, ध्यान से सुनिए।

हम, वो जो शक्ति है जो सबके ह्रदय में विराजमान है, जो हर एक कण-कण में विराजमान है, जो रस्सी जब जली हुई नहीं है तो उसमें भी विराजमान है और जब वो रस्सी जलके राख हो जाए तब भी वो उस रस्सी की राख में विराजमान है। तुममे विराजमान है, और जब तुम इस संसार से चले जाओगे, तुम्हारा शरीर काम नहीं करेगा फिर भी वो तुम्हारे शरीर में विराजमान है । और जब तुम्हारा शरीर जला दिया जाएगा तो जो तुम्हारी राख होगी वो उसमें भी विराजमान है। और जब तुम्हारी राख को बहा दिया जाएगा और जब तुम्हारी राख पानी से मिल जाएगी तो उसमें भी विराजमान है, क्योंकि वो पानी में विराजमान है।

अगर तुमको गाढ़ दिया गया और तुम सड़ गए तो जो तुम्हारा सड़ा हुआ हिस्सा है, वो उसमें भी विराजमान है। और जिस मिट्टी से तुम बने, वो उसमें पहले ही विराजमान था। और जब उस मिट्टी से तुम बने तो वो अब तुममें विराजमान है, और ऐसा कभी होगा नहीं कि तुम उससे कभी जुदा हो जाओ, क्योंकि तुम हो नहीं सकते।

परन्तु वो तब भी था जब तुम, तुम नहीं थे। वो तब भी था जब तुम हो और वो तब भी रहेगा जब तुम नहीं रहोगे। तीनों चीज़ें आ गयी न इस में?था, है, रहेगा, और तुम नहीं।

तुम क्या हो? अपनी याददाश्त हो, पहचान हो। कौन कौन है, कौन क्या है, क्या नाम है, ये सारी चीज़ें, अगर ये सारी चीज़ें तुममें से निकल गई तो कौन क्या है, क्या, कुछ समझ में नहीं आएगा। तो जब ये है, तो फिर चक्कर क्या है ? मतलब जब ऐसा है तो सबकी चैन कि बंसी बजनी छानिये। नहीं ?

सबकी चैन कि बंसी... कहाँ से आया ये गुस्सा, कहाँ से आया ये दुःख? कहाँ से आई ये सारी चीज़ें ? जानना, न जानना, इसका तो सवाल... जब वो है, और रहेगा, और उसको तुम निकल नहीं सकते। उसको ये नहीं कह सकते "यहाँ मत आना।" तो फिर ये सारा चक्कर क्या है ?

जिस-जिस चीज़ की तुम कल्पना करते हो ये तुम्हारी सिर्फ खयालों की दुनिया में है। सिर्फ। और वो इस ख़याल की दुनिया से अलग है। इसी लिए कहा है, इसको तुम अपने खयालों से नहीं पकड़ सकते। खयालों में नहीं है वो।

कण-कण में है, खयालों में नहीं है। कण-कण में है, विचारों में नहीं है। कण-कण में है, और तुम्हारे ह्रदय में है, और ह्रदय में तुम इसका अनुभव कर सकते हो।

ये है समझने की चीज़, ये है जानने की चीज़, ये है पहचाने की चीज़।

आंतरिक ज्ञान का दीपक 00:06:46 आंतरिक ज्ञान का दीपक Video Duration : 00:06:46 “जब वह बत्ती, वह ज्ञान रूपी लाइट बल्ब जलने लगता है, तब मनुष्य के जीवन में स्पष्ट...

(प्रेम रावत) लोग तो बहुत सारे प्रश्न पूछते हैं कि ऐसा क्यों है? वैसा क्यों है? यह क्यों होता है? वह क्यों होता है? ऐसा काहे के लिए होता है? पर सबसे बढ़िया प्रश्न तो यही है कि यह जो मेरे को समय मिला है, इसका मैं सबसे अच्छा प्रयोग कैसे कर सकूं? इसका सदुपयोग मैं कैसे कर सकूं? 

तो उसके लिए संत महात्माओं ने एक बात बहुत स्पष्ट कही है और यह बात लोग सुनते हैं और काफी मात्रा में सुनते हैं यह बात। पर मेरे ख्याल से लोगों की या तो समझ में नहीं आती है या उसको स्वीकार नहीं करना चाहते हैं कि जो भी तुम्हारे प्रश्न हैं, तुम्हारा मन जो है, तुम्हारा दिमाग जो है, प्रश्नों को पूछता है, वह प्रश्नों के बारे में सोचता है, वही प्रश्न आते हैं। परंतु तुम्हारे हृदय में सारे उत्तर उत्तर है। मन में, दिमाग में प्रश्न प्रश्न है, हृदय में। उत्तर। उत्तर।

तो जब तक तुम अंदर नहीं जाओगे और उस चीज को महसूस नहीं करोगे जो तुम्हारे अंदर है। ये तुम्हारे प्रश्न खत्म नहीं होंगे। यह चलते रहेंगे, चलते रहेंगे, चलते रहेंगे, चलते रहेंगे। जैसे एक कमरे के अंदर अगर अंधेरा ही अंधेरा है तो उस कमरे में क्या है, आप उसको नहीं जान पाएंगे। उसको नहीं समझ पाएंगे कि क्या है उस कमरे के अंदर। परंतु जैसे ही उस कमरे में उजाला होगा तो प्रकाश जब होगा उजाला जब होगा तो उजाला किसी चीज को बनाएगा नहीं।

उजाला मेज को या कुर्सी को या गिलास रखा हुआ है वहां या पलंग रखा हुआ है वहां। उन चीजों को बनाएगा नहीं। परंतु अगर वह चीजें वहां हैं तो आप उनको देख सकेंगे बस। बस। देखने के बाद आप अपने आप इसका निर्णय ले सकते हैं कि आप उस कमरे में किस चीज का इस्तेमाल करना चाहते हैं, कुर्सी पर बैठना चाहते हैं या नहीं बैठना चाहते हैं या पलंग पर लेटना चाहते हैं या नहीं लेना चाहते हैं। परंतु पलंग है, कुर्सी है, मेज है, पानी है। आपको भूख लगी है, फल हैं।  ये सारी चीजें वहां मौजूद हैं और अगर आप उन चीजों का सेवन करना चाहते हैं तो आप कर सकते हैं। और यह क्यों हो रहा है? यह इसलिए हो रहा है क्योंकि अब उस कमरे में प्रकाश है।

उजाले से पहले जब प्रकाश नहीं था, बत्ती जलने से पहले जब प्रकाश नहीं था, तब क्या हालत थी? अगर आपको भूख लगी थी या प्यास लगी थी या आप थके हुए थे, आपको बैठने की जरूरत थी। आपको नहीं मालूम है कि कहां बैठें? आपको नहीं मालूम था कि पानी वहां है या नहीं है। आपको नहीं मालूम था कि वहां भोजन है या नहीं है और इसके कारण मनुष्य परेशान होता है, क्योंकि उसको मालूम नहीं है।

परंतु जब उसको मालूम होने लगता है, जब वह जानने लगता है, जब वह पहचानने लगता है तो अपने आप। फिर वह निर्णय ले सकता है कि उसको किस चीज की जरूरत है। अब उसको पूछने की जरूरत नहीं है। अगर उसको प्यास लगती है तो उसको पूछने की जरूरत नहीं है। पानी है या नहीं, अब वह देख सकता है कि पानी है।

ठीक इसी प्रकार अपने जीवन के अंदर जब अंदर अंधेरा है तो मनुष्य के हजारों प्रश्न है क्या है ,यह क्या है, वह क्या है? कब मिलेगा? कैसे मिलेगा? क्या मैं नरक में जाऊंगा? क्या मैं स्वर्ग में जाऊंगा? मेरे साथ क्या होगा? अब सब सब सारी चीजें सुनी हुई है।

जब आप पैदा हुए थे, आपको नरक के बारे में कुछ नहीं मालूम था। स्वर्ग के बारे में कुछ नहीं मालूम था। यह सब चीजें आपने सुनी कि नरक होता है, स्वर्ग होता है, यह होता है, वह होता है। और आपने सोचना शुरू किया कि कहां जाऊंगा मैं? मैंने कैसे कर्म किए हैं? मैंने कहीं गलती तो नहीं कर दी। सारी चीजें होने लगती हैं। ये सारे डाउट्स जो हैं, यह होने लगते हैं। परंतु जब वह बत्ती, वह ज्ञान रूपी लाइट बल्ब जलने लगता है...

इसीलिए कहा है कि ज्ञान बिना नर सोवईं ऐसे, लवण बिना जब भव व्यंजन जैसे। क्योंकि भव व्यंजन लगते तो सब सुंदर हैं। सब ठीक है। सब अच्छे हैं। परंतु खाने पर उनमें कुछ नहीं है। खाने में स्वाद नहीं है। ठीक इसी प्रकार जिस मनुष्य के जीवन के अंदर वह ज्ञान रूपी बत्ती नहीं जल रही है, उसका जीवन कुछ इसी प्रकार है कि सब कुछ है उसके पास, परंतु वह नहीं जानता है कि वह कहां है, वह यह नहीं जानता आगे क्या हो रहा है।

वह यह नहीं जानता कि आज के दिन में क्या हो रहा है। कल की प्लानिंग के बारे में उसको सब कुछ मालूम है। कल की प्लानिंग करने में बड़ा बड़ा माहिर है। परंतु आज वह कुछ नहीं जानता। सचमुच में यह जो मन है, यह फोटो छापता रहता है, फोटो छापता रहता है।

ऐसा होना चाहिए, ऐसा होना चाहिए, मेरी बीवी ऐसी होनी चाहिए, मेरा परिवार ऐसा होना चाहिए, मेरे बच्चे ऐसे होने चाहिए, मेरे दोस्त ऐसे होने चाहिए। और सब चीजों के पीछे लगा रहता, लगा रहता, लगा रहता, लगा रहता है। और अगर सचमुच में इस बारे में सोचा जाए तो झगड़े की जड़ यही सारे चित्र हैं हमारी जिंदगी के अंदर जो हमने बना रखे हैं।

तो ध्यान दीजिए और सबसे ज्यादा सबसे बड़ी चीज आनंद से रहिए।

सभी श्रोताओं को मेरा बहुत बहुत नमस्कार।

 

Log In / Create Account
Create Account




Log In with





Don’t have an account?
Create Account

Accounts created using Phone Number or Email Address are separate. 
Create Account Using
  
First name

  
Last name

Phone Number

I have read the Privacy Policy and agree.


Show

I have read the Privacy Policy and agree.

Account Information




  • You can create a TimelessToday account with either your Phone Number or your Email Address. Please Note: these are separate and cannot be used interchangeably!

  • Subscription purchase requires that you are logged in with a TimelessToday account.

  • If you purchase a subscription, it will only be linked to the Phone Number or Email Address that was used to log in at the time of Subscription purchase.

Please enter the first name. Please enter the last name. Please enter an email address. Please enter a valid email address. Please enter a password. Passwords must be at least 6 characters. Please Re Enter the password. Password and Confirm Password should be same. Please agree to the privacy policy to continue. Please enter the full name. Show Hide Please enter a Phone Number Invalid Code, please try again Failed to send SMS. Please try again Please enter your name Please enter your name Unable to save additional details. Can't check if user is already registered Please enter a password Invalid password, please try again Can't check if you have free subscription Can't activate FREE premium subscription Resend code in 00:30 seconds We cannot find an account with that phone number. Check the number or create a new account. An account with this phone number already exists. Log In or Try with a different phone number. Invalid Captcha, please try again.
Activate Account

You're Almost Done

ACTIVATE YOUR ACCOUNT

You should receive an email within the next hour.
Click on the link in the email to activate your account.

You won’t be able to log in or purchase a subscription unless you activate it.

Can't find the email?
Please check your Spam or Junk folder.
If you use Gmail, check under Promotions.

Activate Account

Your account linked with johndoe@gmail.com is not Active.

Activate it from the account activation email we sent you.

Can't find the email?
Please check your Spam or Junk folder.
If you use Gmail, check under Promotions.

OR

Get a new account activation email now

Need Help? Contact Customer Care

Activate Account

Account activation email sent to johndoe@gmail.com

ACTIVATE YOUR ACCOUNT

You should receive an email within the next hour.
Click on the link in the email to activate your account.

Once you have activated your account you can continue to log in

Do you really want to renew your subscription?
You haven't marked anything as a favorite so far. Please select a product Please select a play list Failed to add the product. Please refresh the page and try one more time.