Music
Words: Prem Rawat. Music: Focus by Geoff Bridgford, performed by One Foundation.
With kind permission from the respective copyright holder(s). All rights reserved
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“THE MASTER”
You know, there’s so much that we want in our lives, so much we pray for, so much that we desire.
But what is that one thing that we really need in our lives?
And to me, I want to feel that magic all the time, because I know it’s there. I want to feel that joy. I want my life to be filled; to be completely, completely filled with that love, with that excitement; not my ideas, not my trials and tribulations, good’s and the bad’s.
And when I have that one thing which is clarity; clarity, then I can see, then I can recognise; recognise that which is true, that which is real.
Then I can recognise my Master.
To recognise my Master takes effort every day; every day.
It’s not a simple thing. Believe me, it is not a simple thing. It is more delicate than any love you have ever felt. Without the kindness and without the effort; that effort that the Master makes to reawaken me every time.
And it takes conscious effort every day to awaken and to thank that person, who also makes effort every day to make sure that I am awake, that I remain clear, that I do not forget;
forget what is essential, forget what is important,
forget that this breath means so much to me,
that this life means so much to me,
that this existence means so much to me,
that the joy means so much to me,
that that passion means so much to me,
that that understanding means so much to me,
that that clarity means so much to me,
that that feeling of Knowledge means so much to me … because it does.
Your center in this world is not out there; it’s within you. This is your center. This is from where you come and this is to where you belong.
From here is the coming; the welcoming of each breath that happens.
Here is the dispersal of each breath. This is your portal. This is your door. This is your home.
So my prayer definitely becomes:
“Gather me. Gather me and keep me in this miracle. Gather me and keep me in this magic. Gather me and keep me in that world where there is that joy, where my heart can be content, where I can be who I am, where silence means something, where there is a reality so perfect that I don’t have to sit there and think about it and I don’t have to dream it and I don’t have to try to understand it, but I can feel it. Feel it. This is how it is.
“Gather me, gather me! Because I’m all over the place. Gather me and take me into that world, gather me and take me close to that heart where I belong. When I am there I know I belong. It is right; a place where I don’t have to define, a place where I don’t have to search any more, a place that I don’t have to try to create in my imagination and fantasies, but a place where I know I belong.”
So hard we try to belong in this world, so hard we try to belong to each other, so hard we try. So hard we try to please each other.
You have come, you have arrived. Let the dance begin. You have arrived. Let this saga now unfold.
Hear the most beautiful story; not of desperation, not of anger and fear. Run on joy. Desire joy, want joy in your life.
Harmony, not duality; harmony.
Let me be content. Let me be in peace. Peace, now.
Every moment of my waking life, show me, remind me.
Remind me to be in that peace.
Prem Rawat
कितना कुछ हम अपने जीवन में चाहते हैं, कितनी चीज़ों के बारें में हम प्रार्थना करते हैं, किन्तु एक चीज़ है जिसकी हमको जीवन में सचमुच जरूरत है। जहाँ तक मेरी बात है तो मैं उस आनंद को हर समय महसूस करना चाहता हूँ। क्योंकि मुझे पता है कि वो मेरे अंदर है। मैं उस आनंद को महसूस करना चाहता हूँ । मैं अपने जीवन को पूरी तरह से उस प्यार से, उस खुशी से, उस आनंद से भर लेना चाहता हूँ । मेरे विचारों से नहीं, मेरी चुनौतियों और परेशानियों से नहीं, अच्छे और बुरे से नहीं। जब मेरे पास वो आनंद की समझ होगी जिसे असली समझ कहते हैं, तब मैं स्पष्टता से देख सकूँगा, तब मैं पहचान सकूँगा जो सच है, जो असली है। तब मैं अपने गुरु महाराज को पहचान पाउँगा।
अपने गुरु महाराज को पहचानने के लिए हर दिन प्रयास करना पड़ता है। ये कोई सरल बात नहीं है। मेरा विश्वास करो, ये कोई सरल बात नहीं है। ये हर उस प्यार से अधिक कोमल है, जो तुमने कभी भी अपने जीवन में महसूस किया है। मुझे जगाने के लिए गुरु महाराज दया से बार-बार कोशिश करते हैं, मैं हर दिन उन्हें धन्यवाद देने के लिए कोशिश करता हूँ । वो कोशिश करते हैं कि मैं भूलूँ नहीं, वो कोशिश करते हैं कि जो मेरे लिए जरूरी है उसे मैं हमेशा याद रखूँ। वो कोशिश करते हैं कि मैं हर स्वांस की कीमत को कभी न भूलूँ।
वो बार-बार याद दिलाते हैं कि ये जीवन कितना अमूल्य है। वो बार-बार याद दिलाते हैं कि आनंद मेरी जिंदगी में कितना मायने रखता है। ये ज्ञान मेरे लिए कितना मायने रखता है। वो बार बार मेरी अँधेरी दुनिया में ज्ञान का दीपक जलाते हैं। वो बार-बार याद दिलाते हैं कि जिसे मैं बाहर ढूंढ रहा हूँ वो मेरे अंदर है। वो चीज जहाँ से मेरी शुरुआत है और जहाँ मेरा अंत है वो भी मेरे अंदर ही है। वो बार-बार याद दिलाते हैं कि किस प्रकार मैं अपने जीवन में हर एक स्वांस का स्वागत करूँ और हर स्वांस को जानू और समझूँ।
यही मेरे आनंद का दरवाजा है। यही मेरे घर का दरवाजा है। यही मेरे मोक्ष का दरवाजा है।
गुरु महाराज, ये मेरी प्रार्थना है कि मुझे समेट लीजिए। मैं बिखरा हुआ हूँ । जब इस माया की चमक को देखता हूँ तो बिखर जाता हूँ । मुझे बटोर लीजिए, और मुझे मेरे ह्रदय के आनंद के करीब रखिए। मुझे ऐसी जगह रखिए जहाँ मेरा हृदय संतुष्ट रहे। जहाँ एक ऐसा सच विराजमान हो, जहाँ ऐसा आनंद हो जिसका मैं अनुभव अपने जीवन में कर सकूँ। मैं उस अनंत को समझने की कोशिश नहीं करना चाहता, बल्कि उसे महसूस करना चाहता हूँ । मुझे बटोर लीजिए। मुझे समेट लीजिए।
मेरी प्रवृत्ति चारों ओर बिखरने की है। जब मैं उस अनंत के अनुभव के करीब होता हूँ , तो मुझे मालूम है कि वहीं मुझे होना चाहिए। वो एक ऐसी जगह है जो परिभाषा से परे है। वो एक ऐसी जगह है जहाँ मुझे उस आनंद और अनंत की तलाश करने की जरूरत नहीं है। वो मेरी कल्पना से दूर है और मेरे ह्रदय के पास है। हम एक दूसरे को खुश रखने के लिए कितनी कोशिश करते हैं, पर गुरु महाराज सचमुच मैं जानता हूँ कि हृदय की असली खुशी क्या है।
तुम आए हो, तुम आ गए, इस जीवन का नृत्य शुरू होना चाहिए। आप अपनी कहानी शुरू होने दीजिए। निराशा से दूर, भय से दूर, सिर्फ आनंद की धुन में, सिर्फ आनंद में। गुरु महाराज की कृपा से उस अनुभव का साक्षात्कार होने दीजिए।
गुरु महाराज मुझे याद दिलाते रहना कि मैं स्वतंत्र रहूँ। अपनी ही इच्छाओं का दास न बन जाऊँ। गुरु महाराज याद दिलाते रहना कि हर दिन मेरे को स्वीकार करना है। हर स्वांस एक उपहार है। याद दिलाते रहना कि मेरे ह्रदय में कितनी दया है, याद दिलाते रहना कि मैं अपने ह्रदय को आभार से भरूँ। याद दिलाते रहना कि मैं अपनी आँखें खोलकर उस आनंद के नज़ारे को देखूं।
श्री प्रेम रावत जी द्वारा लिखित और वर्णित।
धारकों से अनुमति से संबंधित कॉपीराइट और सर्वाधिकार सुरक्षित।
01 Mermaid
02 Breathing Blue
03 Lifesaver
04 Gold & Silver
05 Bloomington Days
06 Raining Fire - featuring John Adorney
07 Swansong
08 As the Water Lilies Grow - featuring John Adorney
09 A Prayer Like Velvet
10 Underwater Rebirth
Featured Artists
Nitish Kulkarni: keyboards, tabla, doumbek.
John Adorney: guitars, cello, autoharp, dulciborn.
Composed by Nitish Kulkarni
Produced by John Adorney for EverSound / Nitish Kulkarni Music 2015
With kind permission from the respective copyright holder(s). All rights reserved.
Composed by Nitish Kulkarni
Produced by John Adorney for EverSound / Nitish Kulkarni Music 2015
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Composed by Nitish Kulkarni
Produced by John Adorney for EverSound / Nitish Kulkarni Music 2015
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Composed by Nitish Kulkarni
Featuring John Adorney.
Produced by John Adorney for EverSound / Nitish Kulkarni Music 2015
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