As human history has evolved, there was a point where people began to realize there’s a level of consciousness beyond day-to-day thinking. What has been missing for most of us is an awareness of a practical, heartfelt way to go beyond our limitations, assumptions, and habits. One might say it is our life’s purpose to know and experience peace and gratitude.
Prem Rawat’s Peace Education and Knowledge (PEAK) program engages you in his practical approach, free for all interested in exploring a journey to personal peace. TimelessToday, Prem’s media company, is proud to deliver the PEAK mobile app. Packed with videos and designed to be self-paced, PEAK is available at no charge on the TimelessToday app from the Apple AppStore or Google Play Store.
You can also find plenty of free content on the TimelessToday app and website, including audios and videos of Prem addressing live audiences. In addition, a TimelessToday subscription provides access to Prem Rawat’s livestream events and other premium content.
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जो आप हैं, जैसे आप हैं, इस पृथ्वी पर ऐसा न कभी कोई था और न कभी कोई होगा। आप जिस प्रकार रोते हैं वह आपका रोना है। जब आप हंसते हैं तो जिस प्रकार आप हंसते हैं, वह आपका हंसना है। ये जो सिग्नेचर आप हैं यह फिर कभी नहीं होगा। आप जैसे बहुत हैं, पर आप जैसा कोई नहीं है।
(प्रेम रावत) हमारे सभी श्रोताओं को हमारा नमस्कार। काफी दिनों के बाद यह मौका मिला है। मैं काफी सारे देशों में भ्रमण करके आ रहा हूं। और यह मौका मिला है मेरे को कि आपके साथ बात करूं, कुछ आपके आगे एक बात रखूं। और सबसे बड़ी बात तो यही है कि जो कुछ यह है, जो कुछ हो रहा है, आपको अपनी जिंदगी कुछ इस तरीके से जीनी है कि यह हो रहा है या नहीं हो रहा है, इसका कोई महत्व आपके ऊपर ज्यादा नहीं होना चाहिए। क्योंकि सबसे बड़ी बात तो यह है कि आप जीवित हैं।
तो भगवान राम की कहानी आप सब लोगों ने सुनी है। उसमें काफी सारे कैरेक्टर थे, पर मेन कैरेक्टर उनको देखा जाये, मेन कैरेक्टर तो एक तरफ तो रावण है और एक तरफ है हनुमान। अब देखिए, रावण क्या बनना चाहता है ? रावण परफेक्ट बनना चाहता है, संपूर्ण बनना चाहता है। क्या मांगता है वो ? जब ब्रह्मा की उन्होंने तपस्या की, ब्रह्मा ने खुश होकर के — मांगो, क्या मांगते हो ? क्या मांगा कि मेरे को कोई दानव नहीं मार सकता है, कोई पशु नहीं मार सकता है, सब, ये सबकुछ मांगा ताकि मेरे को मारने वाला ही न हो। हां, इतनी बेवकूफी उसने की कि वो मनुष्य को भूल गया, उसने मनुष्य के बारे में, उसने सोचा कि मनुष्य तो बहुत कमजोर है, वो क्या मेरे को मारेंगे ? और यही चीज उसका कारण बनी मौत का।
तो एक तरफ तो है रावण, जो संपूर्ण बनना चाहता है। और दूसरी तरफ है हनुमान और हनुमान क्या चाहते हैं ? वो जो संपूर्ण है उसको महसूस करना चाहते हैं। उसका अनुभव करना चाहते हैं। उसकी सेवा करना चाहते हैं। रावण नहीं। रावण तो बनना चाहता है। सबसे शक्तिशाली बनना चाहता है। सबसे परफेक्ट बनना चाहता है जो कोई गलती कर ही नहीं सकता। तीनों लोकों का वो राजा बनना चाहता है। सारे प्लैनेट्स जो हैं, सूर्य है, चंद्रमा है, सब उसके अधीन हों। ये सब चाहता है वो। एक तरफ से अगर आप पूर्ण को भी नहीं समझते हैं, संपूर्ण को भी नहीं समझते हैं, तो हिन्दी भाषा में बहुत सरल रूप से अगर इस बात को रखा जाये तो जो घट में विराजमान है, कौन, वही जिसके लिए कहा है कि —
विधि हरि हर जाको ध्यान करत हैं, मुनिजन सहस अठासी।
सोई हंस तेरे घट माहिं, अलख पुरुष अविनाशी।।
तो वो जो अविनाशी है, रावण उस अविनाशी जैसा बनना चाहता है।
और हनुमान, हनुमान उस अविनाशी का दर्शन करना चाहता है, उस अविनाशी का अनुभव करना चाहता है, उस अविनाशी की सेवा करना चाहता है। ये दोनों में फर्क है। दोनों महापण्डित हैं। दोनों शक्तिशाली हैं। दोनों ही महापण्डित हैं, दोनों ही बहुत शक्तिशाली हैं।
बल्कि जब हनुमान की माताजी ने, अंजनि ने पूछा हनुमान से कि “भाई, तुम अगर चाहते तो तुममें तो इतनी शक्ति है, तुम तो, ये पुल-वुल बनाने की क्या जरूरत थी, ये वानरों की सेना की क्या जरूरत थी, इन सारी चीजों की क्या जरूरत थी, अगर तुम चाहते तो वहां तुम खुद ही जाकर के सारी रावण की सेना को नष्ट कर सकते थे, रावण को मार सकते थे, रावण के भाइयों को मार सकते थे, रावण के बेटों को मार सकते थे और सीता को वापिस ला सकते थे। तो तुमने ऐसा क्यों नहीं किया ?”
तो हनुमान जी बोलते हैं — ये मेरी कहानी नहीं है। ये मेरी कहानी नहीं है। ये कहानी भगवान राम की है। इतना शक्तिशाली होने के बावजूद भी वो क्या करना चाहते हैं ? जब कहा, मांगा गया कि मांगों क्या मांगते हो तो —
भक्तिदान मोहे दीजिये।
क्या, भक्ति का दान। सेवा करना चाहता है। समझना चाहता है। अनुभव करना चाहता है। इसी में आनंद है।
आज हम क्या कर रहे हैं ? हम जो इस दुनिया के लोग हैं, क्या कर रहे हैं ? पूछता हूं मैं यह सवाल। आपसे पूछता हूं। क्या हम भी रावण की तरह संपूर्ण नहीं होना चाहते हैं अपने काम में, अपनी नौकरी में ? क्या बच्चा इम्तिहान के समय यह ख़्वाब नहीं देखता है कि मेरे को सौ में से सौ मिल जाएं। परफेक्ट! इतना आसान हो मेरा पेपर कि सौ में से सौ मिल जाएं। मैं पास हो जाऊं। जब शादी का समय आता है, मेकअप लगाया जाता है, आहा! कितने घंटे लगते हैं मेकअप लगाने में। ये लगाना है, वो लगाना है, परफेक्ट करना है, परफेक्ट करना है, परफेक्ट करना है, परफेक्ट करना है। संपूर्ण करना है, संपूर्ण करना है, संपूर्ण करना है। सबकुछ ऐसा होना चाहिए, सबकुछ बढ़िया होना चाहिए। सबकुछ अच्छा होना चाहिए।
हमारा देश परफेक्ट होना चाहिए। हमारे शहर परफेक्ट होने चाहिए। और यही सारे सपने लोग देख रहे हैं। सब लोग पीछा कर रहे हैं उस परफेक्शन का, उस संपूर्णता का, जो संपूर्ण है उसका पीछा कर रहे हैं, हम भी ऐसे बनें, हम भी ऐसे बनेंगे, हम भी ऐसे बनेंगे, हमारा भी ये होना चाहिए, हमारा भी ये होना चाहिए, हमारा भी ये होना चाहिए।
और जीते कैसे हैं ? क्योंकि जब वो जो पहला वाला दायरा है, जब वो निकाल दिया अपने मन से, अपने दिमाग से, तो पड़े हुए हैं सब छोटे-छोटे दायरों के पीछे। मेरी फैमिली परफेक्ट होनी चाहिए, मेरी बीवी परफेक्ट होनी चाहिए। मेरा जॉब परफेक्ट होना चाहिए। मेरी कार परफेक्ट होनी चाहिए। मेरी मोटरसाइकिल परफेक्ट होनी चाहिए। मेरा स्कूटर परफेक्ट होना चाहिए। मेरे दोस्त परफेक्ट होने चाहिए। मेरा खाना परफेक्ट होना चाहिए।
एक बार मैं यूट्यूब देख रहा था। अब तो हमारी भी चैनल हो गयी है यूट्यूब में। तो एक दिन मैं देख रहा था यूट्यूब, भोजन के बारे में। तो उसमें एक आदमी खाना बना रहा है, वो कह रहा है कि आप ये डिश अपना घर में बना सकते हैं बिलकुल रेस्टोरेंट जैसा। तब मेरे को ख्याल आया, एक जमाना था कि रेस्टोरेंट में कहा करते थे कि एकदम घर के जैसा खाना है। आपको यहां घर जैसा खाना मिलेगा। अब वो समय गया, अब क्या समय आया है ? अब घर में रेस्टोरेंट जैसा वाला खा लो। उलटी गंगा। अब जिन्होंने वो समय देखा है, उनके लिए तो ये उलटी गंगा हो गयी। जो नये, नौजवान लोग हैं उनके लिए और क्या है ? घर में बहुत भद्दा बनता है, क्योंकि किसी के पास टाइम तो है नहीं। तो खराब बनता है, तो इसलिए जो रेस्टोरेंट में बनता है वो बढ़िया बनता है।
क्योंकि ये धारणाएं बना रखी हैं मनुष्य ने कि जब ऐसा होगा तो बढ़िया होगा, अब ऐसा होगा तो बढ़िया होगा, अब ऐसा होगा तो… कामधेनु गऊ थी न, जो इच्छा हो वो पूरी कर देती थी। तो सबको कामधेनु गऊ चाहिए। और अगर कामधेनु गऊ नहीं मिल रही है, तो कोई बात नहीं, हम ऐसा प्रबंध करेंगे टेक्नोलॉजी के द्वारा, एडवरटाइजमेंट के द्वारा ऐसी चीजों का आविष्कार करेंगे कि जो हमारी इच्छा हो वो हम पूरी कर सकें। तो हमारे सारे लोगों से मांगना, क्या मांगना ? बड़े-बड़े लोगों के पास जाते हैं और वो कहते हैं — “हां, भाई, क्या मांगना चाहते हो ?” “अजी, हमारी मनोकामना पूरी हो।” परंतु मनोकामना तो, वो तो तो तो तो, राम के समय तो तो तो तो तो तो रावण पूरी करता था। आहा! वो भक्ति का क्या हुआ भाई ? वो अनुभव करने का क्या हुआ भाई कि वो जो छोटे-छोटे दायरे हैं, उन पर ज्यादा ध्यान नहीं देना है, जो बड़ा वाला दायरा है, उस पर ध्यान देना है कि यहां हैं, अब नहीं हैं, अब नहीं रहेंगे, परंतु जबतक हैं, तबतक इस जीवन के अंदर उस सुंदर चीज का अभ्यास करें, उस सुंदर चीज का अनुभव करें और अपने जीवन को सफल करें।
और क्या ? और क्या है ? हम लोग समझते हैं कि ये सारी जो माया है, ये बनी रहेगी। ना! वही वाली बात है जो, एक जमाना था कि रेस्टोरेंट जाइये, रेस्टोरेंट — बढ़िया रेस्टोरेंट है यह इसलिए क्योंकि यहां एकदम घर का खाना मिलता है। और अब उलटी गंगा है। अपने घर में रेस्टोरेंट वाला फूड मंगवा लो। अपने घर में रेस्टोरेंट वाला फूड खाओ। सारी तपस्या हो रही है। काहे के लिए हो रही है तपस्या ? अपना जीवन सफल करने के लिए हो रही है तपस्या ? या और शक्तिशाली बनने के लिए ये तपस्या हो रही है ? और धन के लिए तपस्या हो रही है ?
और होगा क्या ? जो रावण के साथ हुआ, वही होगा। हनुमान का वध नहीं हुआ। रावण का हुआ। रावण का हुआ। ध्यान देने की बात है। क्योंकि ये जो धारणायें बना रखी हैं और इनके पीछे जो हम भागते रहते हैं, भागते रहते हैं, वही प्रवृत्ति है जो रावण की थी, हनुमान की नहीं। तुम अगर अपने जीवन को सफल करना चाहते हो, तो वो करना पड़ेगा जो हनुमान जी ने किया। और अगर वो कर पाये, तो कोई भी परिस्थिति हो, सुख-चैन से आप जी सकोगे।
अपना ख्याल रखें…ये बीमारी किसी को दो मत, किसी से लो मत। अपना ख्याल रखो और हमारे सभी श्रोताओं को मेरा बहुत-बहुत नमस्कार।
हिम्मत का समय (छठा भाग)
प्रेम रावत जी : Ok.. So Thank you again for joining Dr. Kiran. And I understand you are in Seattle.
डॉ. किरण : Yes, I am, जी मैं...I am in Seattle.
प्रेम रावत जी : हिंदी में स्विच कर देते हैं। और आप — कहां से ग्रेजुएट किया आपने मेडिकल स्कूल ?
डॉ. किरण : जी, मैंने मेडिकल ट्रेनिंग अपनी भारत में, अहमदाबाद शहर में बी.जे. मेडिकल कॉलेज है वहां से की थी मैंने। प्रेम रावत जी : अच्छा!
डॉ. किरण : और उसके बाद रेजीडेंसी ट्रेनिंग भी मेरी इंटरनल मेडिसिन में वहीं उससे जुड़ी हुई सिविल हॉस्पिटल है अहमदाबाद में, वहां मैंने अपनी पूरी की थी।
प्रेम रावत जी : जी, जी। तो आपको तो यह ज्ञात होगा ही कि हिन्दुस्तान में इस कोरोना वायरस को लेकर के बहुत ही गड़बड़ हो रही है और बहुत लोग परेशान हैं क्या किया जाये। और एक चीज मैं यह चाहता था कि आज कुछ आप जरा समझायें कि यह कोरोना वायरस क्या है और इससे डरने की जरूरत नहीं है। इससे सावधान होने की जरूरत है।
डॉ. किरण : जी, जी! तो यह जो कोरोना वायरस कि एक परिवार है viruses का जो, जिसमें से एक वायरस जिसे SARS-CoV-2 के नाम से पहचाना गया था, वह 2019 में सबसे पहले पाया गया था, तो तब से लेकर के कोई ऐसा — मैं मानती हूं ऐसा कोई देश नहीं है जो इस वायरस के संक्रमण से बचा रहा हो। लेकिन यह जो है, यह लहरों में कई देशों में देखा गया है तो कई देशों में एक, पहली लहर आयी, फिर वह उतर गयी, फिर दूसरी लहर आयी। तो हिन्दुस्तान में अभी जो है वह दूसरी लहर से जूझ रहे हैं सब। तो यह जो वायरस है यह जुकाम से लेकर के एक Severe acute respiratory syndrome जिसे कहते हैं वो symptoms में पूरा उसका रेंज करता है। मगर जो समझने वाली बात है कि 85 से 90 प्रतिशत लोगों में यह बहुत ही सौम्य, माइल्ड इंफेक्शन करता है, जिन्हें कोई दवा, कोई hospitalization या कोई बहुत ज्यादा मेडिकल केयर की जरूरत नहीं पड़ती। यह अपने आप ही ठीक हो जाता है। और अब तक जो दुनिया में लगभग 170 मिलियन cases दर्ज़ किये गए हैं उसमें से 150 मिलियन से ऊपर cases रिकवर हो चुके हैं। और इसका जो mortality मतलब मृत्यु रेट है वह 2 प्रतिशत से भी कम है। तो इससे हमें कंट्रोल करने की जरूरत है, पर इससे बिलकुल भी घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है।
प्रेम रावत जी : यह आपने बहुत अच्छी बात कही कि डरने की बात नहीं है. डर, लोग डर जाते हैं, क्योंकि बहुत कुछ सुना है लोगों ने और कई जो इत्तला करते हैं लोगों को, वो गलत इत्तला की है, मतलब इससे कि मर जायेंगे, ये कर जायेंगे और जो मैंने सुना है उसका — वह तो बहुत साधारण-सा एक हल है उसका कि मास्क पहनो, छह फीट की दूरी रखो लोगों से और अपने हाथ धोओ.....
डॉ. किरण : जी!
प्रेम रावत जी : .... तो ये करने से आदमी बच सकता है इससे।
डॉ. किरण : जी बिलकुल, जी बिलकुल आपने एकदम सही कहा कि लोगों में डर और पैनिक बहुत ही फैल रहा है, लेकिन कोरोना से बचने के ये आपने जो बताये वो बहुत-ही सरल रास्ते हैं। और एक अब और हमारे में add हो गया है इसमें जो है कि वैक्सीनेशन्स, हमारे पास अब उपलब्ध हैं। तो जैसे-जैसे लोगों के, जैसे-जैसे वैक्सीन्स और उपलब्ध होंगी, वैसे-वैसे इसका ट्रांसमिशन और भी कम होता जायेगा। तो ये मास्किंग और जितना हो सके, जितना जरूरी हो उतना ही घर से बाहर निकलें, जबतक कि इसका कंट्रोल न आये और हाथ धोये रखना, surfaces को disinfectant से साफ करते रहना और अपना जो इम्यून सिस्टम है उसे सशक्त, मजबूत रखना। क्योंकि आखिर में यह इम्यून सिस्टम ही है जो इस वायरस से लड़ता है बाकी सब दवाइयां तो जरा कुछ हेल्प करती हैं।
प्रेम रावत जी : तो यह स्वयं मनुष्य की अपनी शक्ति है अगर उसका जो इम्यून सिस्टम है वह अच्छा है तो उससे हैंडल किया जा सकता है। एक बात हमारे सुनने में आयी एक डॉक्टर कह रहे थे कुछ इसके बारे में कि जिन लोगों के ट्रांसप्लांट हुए हैं जैसे, किडनी ट्रांसप्लांट हुई है या हार्ट ट्रांसप्लांट हुआ है तो उन लोगों पर क्योंकि उनको दवाई लेनी पड़ती है ताकि रिएक्शन न हो इम्यून सिस्टम का तो उसकी वजह से वो बहुत ही डेंजर में हैं, खतरे में हैं कि उनको यह वायरस न लगे।
डॉ. किरण : जी, जी बिलकुल, सही कहा आपने। क्योंकि ये जिन लोगों का ट्रांसप्लांट हुआ है किसी भी ऑर्गन (organ) का तो उन्हें ऐसी दवाइयां दी जाती हैं ताकि उनका इम्यून सिस्टम उस organ को रिजेक्ट न करे। तो इसलिए उनका इम्यून सिस्टम दवाइयों से दबाया जाता है और इसलिए जब उन्हें अगर यह वायरस लगे तो इम्यून सिस्टम already दबा हुआ होता है। तो वो इतना, उसका डटकर मुकाबला नहीं कर पाते हैं। इसलिए उनलोगों को खास उससे सावधानी बरतने की जरूरत है और कुछ जो कैंसर के मरीज हैं जो कि कीमोथेरेपी पर हैं या जिन्हें हृदय की तकलीफ है या डायबिटीज़ जिनका कंट्रोल नहीं है वे सब भी इसमें सीवियर बीमारी गंभीर रूप से होने में उन्हें खतरा बना रहता है।
प्रेम रावत जी : यह बात मैं इसलिए कह रहा था क्योंकि कई लोग हैं जो मास्क नहीं पहनना चाहते हैं। तो मैं उनको यह कहना चाहता हूं कि भाई, तुम नहीं पहनना चाहते हो तो कोई बात नहीं मत पहनो, परन्तु औरों के लिए तो पहनो। क्योंकि तुम उनको यह बीमारी दे सकते हो।
डॉ. किरण : जी बिलकुल, हर नागरिक की यह जवाबदारी होनी चाहिए कि खुद को तो बचायें पर सामने वाले को भी बचाना बहुत जरूरी है, आप उन्हें ना दें यह बीमारी। क्योंकि यह जो वायरस है यह जितना टाइम फैलता रहेगा या उसका ट्रांसमिशन चलता रहेगा, उतना इस वायरस को मौका मिलेगा अपना रूप बदलने का, mutate होने का। तो इसलिए यह बहुत जरूरी है कि हर तरीके से हम इसका ट्रांसमिशन रोकें। नहीं तो हम ऐसी स्थिति में शायद पहुंच सकते हैं जहां हमारी जो अभी वैक्सीन्स हैं, वो उतना अच्छे से काम न करें। तो हमें यह बिलकुल रोकना है।
प्रेम रावत जी : तो मतलब यह तो मानवता की बात है। यह तो सभ्यता की बात है कि कम से कम अगर हम नहीं पहनना चाहते हैं मास्क तो भाई, घर में रहो; बाहर मत जाओ और अगर बाहर जाओ तो मास्क पहनकर जाओ ताकि तुमको न लगे वह बात अलग है, परन्तु और लोगों को जिनको यह डायबिटीज़ है या हार्ट की बीमारी है या ट्रांसप्लांट है, तो उनको बहुत खतरा हो सकता है इस चीज से।
डॉ. किरण : जी बिलकुल, जी बिलकुल, आपने बिलकुल सही कहा। यह हर एक की एक नैतिक जवाबदारी होनी चाहिए कि आप जो, समाज में जिन्हें इसका खतरा ज्यादा है उनकी सुरक्षा के बारे में भी आप सोचें और मास्क पहनना उसके लिए बहुत ही जरूरी है। तो मैं मानती हूं कि हर एक को पहनना चाहिए मास्क।
प्रेम रावत जी : और यह नहीं है कि सिर्फ यहां लगाया हुआ है मास्क और नाक में नहीं लगाया या फिर यहां लगाया हुआ है और मुँह में नहीं लगाया। उसको अगर पहनना है तो ठीक ढंग से पहनना है और ऐसा मास्क पहनना है जो वायरस को ट्रांसमिट न करे। के एन-95 जैसे मास्क हैं, क्योंकि जो पतले-पतले मास्क होते हैं जो सिर्फ कपड़ा लगाते हैं तो कपड़े में बहुत बड़े-बड़े छेद होते हैं अगर उसको मैग्नीफाइंग गिलास से देखा जाए तो उसमें बड़े-बड़े छेद हैं तो उनसे वायरस निकल जायेगी। परन्तु कुछ ऐसा होना चाहिए ताकि उसमें किसी भी रूप से वायरस निकल न पाए।
डॉ. किरण : जी, जी आपने बिलकुल सही कहा। तो ये मास्क जो है उसका उचित फिट होना बहुत जरूरी है। तो नाक और मुँह दोनों ही ढकना चाहिए। एक अच्छी सील होनी चाहिए तो हवा साइड से अंदर न जाये सिर्फ मास्क के थ्रू ही जाए। और यह आपने बिलकुल सही कहा कि एन -95 या के एन-95 मास्क जो होते हैं तो वो ज्यादा अच्छा फिटरेशन, ज्यादा अच्छा सुरक्षा देते हैं। कभी अगर न भी मिल पायें आपको किसी कारण से तो आजकल कहते हैं कि डबल मास्किंग का करना भी उचित रहेगा। तो जिससे कि हम एक और लेयर सुरक्षा का उसमें डाल सकें ताकि आप सुरक्षित ज्यादा रह सकें।
प्रेम रावत जी : हिन्दुस्तान में मैंने यह देखा है कि लोग छूते हैं चीजों को और फिर अपने को छूते हैं या आँख साफ कर रहे हैं या कान खुजा रहे हैं या नाक खुजा रहे हैं, तो ये सारी चीजें इन पर ध्यान जाना चाहिए लोगों का कि कहीं भी हाथ लग गया तो वायरस उसमें लग सकती है और उनको खतरा हो सकता है।
डॉ. किरण : जी बिलकुल, तो यह जो वायरस है उसका जो सबसे बड़ा mode of transmission जो हम कहते हैं, वो ड्रॉपलेट, मतलब बड़ी बूंदों से होता है, तो ये बड़ी बूंदें नीचे settle हो जाती हैं तो जिन surfaces पर, जो surfaces बहुत use होते हैं तो उन पर यह वायरस काफी टाइम तक रहता है। तो अगर उसको छुआ और फिर अपने मुँह के आस-पास आप ले गए तो आपको वह वायरस आपके शरीर में अंदर जाने की संभावना बनी रहती है। इसलिए यह कहते हैं कि जो ऐसे surfaces हों उन्हें बार-बार साफ करते रहें।अपने मुँह के आस-पास हाथ न ले जाएं जितना हो सके, क्योंकि यह वायरस नाक और मुँह से सबसे ज्यादा, सबसे आसानी से शरीर में अंदर प्रवेश करता है और जितना बार-बार आपको जितनी बार याद आये पानी और साबुन से अपने हाथ साफ करते रहें। तो ये जो बेसिक कोविड का जो प्रोटेक्शन है, उससे रहता है।
प्रेम रावत जी : हां, तो बड़ी अच्छी बात कही आपने कि इससे सचमुच में हम बच सकते हैं अगर थोड़ा-सा हम लिहाज़ करें, परहेज करें तो बहुत आसानी से हम इससे बच सकते हैं और सबकुछ ठीक हो सकता है।
डॉ. किरण : जी बिलकुल!
प्रेम रावत जी : यह तो बहुत shock का कारण बन गया है हिन्दुस्तान में कि कितने लोग चले गए हैं, परन्तु बुढ़ापे में लोग चले जाते हैं क्योंकि या फिर डायबिटीज़ है या हार्ट कंडीशन है ये सबकुछ है, परन्तु फिर भी जितने लोगों को यह वायरस सारे संसार में हुआ है उसकी mortality रेट मतलब, मरने की जो रेट है वह बहुत ही कम है अगर थोड़ा-सा भी लिहाज़ और डॉक्टरों ने तो बहुत अच्छा काम किया है इसके ऊपर।
डॉ. किरण : जी, वहां पर जो हेल्थ केयर है वह बिलकुल ही स्ट्रेच हो चुका था, पर डॉक्टर्स फिर भी अपनी पूरी जी-जान से मेहनत कर रहे हैं, पूरा काम कर रहे हैं। लेकिन लोगों को भी मैं यह आश्वस्त करना चाहूंगी कि आपने जैसे कहा, mortality रेट उसका बहुत कम है — ये हमने इतने cases देखे इसलिए हम इतना सुन रहे हैं, पर इस बीमारी का जो बेसिक mortality रेट है वह कम है, तो हमें पैनिक या डर की जरूरत नहीं है, हिम्मत रखनी है। और ये जो बेसिक हाइजीन चीजों का और जो भी directives आते हैं हमारे, हमें फॉलो करने चाहिए और अपने आपको बचाया बिलकुल जा सकता है।
प्रेम रावत जी : और यह सुनने में भी आया है कि एक चीज है "ब्लैक फंगस" तो उसके बारे में आप कुछ कहेंगे ?
डॉ. किरण : जी, तो यह ब्लैक फंगस जो हम मेडिकल अपनी भाषा में उसे "Mucor Mycosis" कहते हैं, तो यह इन्फेक्शन नया नहीं है। यह कोविड के पहले भी पाया जाता था। बहुत कम देखा जाता था क्योंकि सिर्फ जिन लोगों में इम्यून सिस्टम फिर से जिनमें कम हो जैसे कि डायबिटीज़ के मरीज जिनका शुगर कंट्रोल में नहीं है, कैंसर के मरीज जो कीमोथेरपी पर हैं या जो ट्रांसप्लांट के patients हैं, immuno separation पर उन सब में देखा जाता था यह ब्लैक फंगस। लेकिन अब जब से यह कोविड की दूसरी लहर आयी है भारत में तो हम इसके cases बढ़ गए हैं यह सुन रहे हैं और उसमें एक बहुत बड़ा कारण जो इसका यह भी माना जाता है कि कोविड हमारे immune system को suppress करता है, को दबाता है और इसलिए ऐसी बीमारियों का उभरना आसान हो जाता है। इसलिए उसमें आजकल हम ज्यादा सुन रहे हैं इस Mucor Mycosis के बारे में।
प्रेम रावत जी : और मैं तो लोगों को यह भी कहना चाहूंगा अगर आप इस बात से सहमत हैं कि जो लोग सुनते हैं, तो हर एक चीज जो सुनते हैं उस पर विश्वास न करें, क्योंकि अफवाह फैलाने वाले बहुत हो गए हैं और गलत-गलत बात करते हैं।
अब देखिये, लोगों को भक्ति करनी है परन्तु जिस भगवान को वो पूजना चाहते हैं कहीं जाकर के, वह तो उनके अंदर है।
विधि हरि हर जाको ध्यान करत हैं, मुनिजन सहस अठासी।
सोई हंस तेरे घट माहीं, अलख पुरुष अविनाशी।।
वो तो वहीं बैठा है। उसकी पूजा करने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं है। भक्त बनने के लिए भक्ति की जरूरत है, परन्तु भक्त बनने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं है। भक्ति जिसकी करनी है वो भी तुम्हारे अंदर है, वो हमारे अंदर है और सबकुछ जिसकी जरूरत है वह सब हमारे अंदर है। तो आराम से, देखकर के एक-एक कदम ख्याल से रखकर आगे बढ़ें तो ये सबकुछ ठीक हो सकता है।
डॉ. किरण : जी, आपने बिलकुल सही कहा। जैसा कि आप कहते हैं कि "भगवान आपके अंदर ही है। जिस भी चीज की आपको जरूरत है वह आपके अंदर ही है।" तो बिलकुल आपने सही कहा कि आप जहां बैठे हैं वहीं बैठकर आपको जो चाहिए आप पा सकते हैं। तो कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं है और ऐसी, ऐसी परिस्थिति में तो आप अपने और दूसरे दोनों के बचाव, समाज के बचाव के लिए सबसे अच्छी बात तो यही होगी कि जहां जरूरी न हो, आप बाहर, घर के बाहर न जाएं।
प्रेम रावत जी : बड़ी अच्छी बात कही आपने और आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कि आप ये सारी चीजें लोगों के सामने ला सकें। और हमारे श्रोताओं को हमारा नमस्कार!
डॉ. किरण : जी, धन्यवाद!
"When you know yourself, you don’t have to suffer." —Prem Rawat
TimelessToday, starting with Episode No. 20, hosts the One 2 One series. The full-length audios and videos are accessible with a subscription. Prem Rawat’s Official YouTube channel provides a free short excerpt (YouTube.com/PremRawatOfficial).
Also, for free on TimelessToday under the Series menu, you can find a longer excerpt.